नक्सल मोर्चे के साथ ‘पुलसिंग कम्युनिटी’ के महाराथी ‘IG आरिफ शेख’
By : madhukar dubey, Last Updated : February 19, 2023 | 7:57 pm
एक नजर डालें, इनकी उत्कृष्ट सेवाओं के सफरनामे पर
आज इनकी गिनती तेज तर्रार अफसरों में होती है। आरिफ शेख 8 जिलों के एसपी रह चुके हैं। रायपुर, बिलासपुर, बस्तर, बलौदाबाजार, बालोद, जैसे जिलों की कमान संभाल चुके आरिफ शेख को कम्युनिटी पुलिसिंग का एक्सपर्ट माना जा रहा है। उन्हें दो बार कम्युनिटी पुलिसिंग के लिए अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुका है। समाजिक तौर पर पुलिसिंग को मजबूत करने के उनके अनूठे प्रयास को कई दफा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल चुकी है। सन 2005 बैच के आईपीएस आरिफ शेख इससे पहले एसीबी-ईओडब्ल्यू के आईजी थे।
पिछले दिनों हुए नये फेरबदल में रायपुर रेंज का आईजी बनाया गया है। ये सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। इसके माध्यम से वे युवाओं को प्रेरित भी करते हैं। वहीं जीवन में सफलता कैसे सकारात्मक सोच के सहारे हासिल की जा सकती है। उसके लिए वे प्रेरित भी करते हैं। आइए, आज जांबाज आईपीएस और युवाओं के लिए ऑइकान बन चुके रायपुर के आईजी आरिफ शेख से रूबरू कराते हैं।
(हमारे संवाददाता भोजेन्द्र वर्मा की खास बातचीत के अंश)
सवाल–पुलिस सेवा में आने की प्रेरणा क्या थी
जवाब–बचपन से ही मेरा जन्म ही एक पुलिस परिवार में हुआ। मेरे पिता जी थे, वे एक रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर हैं। मेरी चौथी पीढ़ी पुलिस में है। मेरे परदादा, दादा, पिता और मैं। ऐसे में मेरी एक नेचुरल प्रेरणा थी कि मैं भी पुलिस डिपार्टमेंट में आऊं। चूंकि मेरा बचपन पुलसिया माहौल में पला बढ़ा है। मैं भी यही चाहता था, कि मैं भी पुलिस विभाग में आया और सेवा करूं। तैयारी के साथ-साथ मैंने प्राइवेट सेक्टर में भी जॉब किया है। उसके पश्चात मेरा लक्ष्य था, जिस पर फोकस करने के बाद मैंने पुलिस विभाग ज्चाइन किया।
सवाल–आप लगभग 18 वर्षों से सेवा में हैं, क्या आप कोई ऐसा अनुभव साझा कर सकते हैं, जो चुनौतीपूर्ण था।
जवाब—मेरे 18 साल के कैरियर में ऐसे बहुत ऐसी सिचुएशन आए हैं, जिससे चुनौती मिली। लेकिन जो भी चुनौती आई जिसे सुलझा लिया। जब मैं एसएसपी रायपुर था, उस समय एक चर्चित अपहरण हुआ था। जिसे 13 दिनों तक ऑपरेशन चलाया था। जिसमें सफलता मिली थी। इसके अलावा नक्सल क्षेत्र में भी मेरी ड्यूटी थी। वहां पर लगातार नये-नये कैम्प खोलना और लगतार अभ्यिान चलाया था। मेरे कार्यकाल के दौरान वहां एक भी कैजुअल्टी नहीं हुई थी। उनके पांच प्रमुख नक्सली मूवमेंट के लीडर को मार गिराया था। ऐसी बहुत सारी अलग-अलग चुनैतियां थीं।
सवाल–क्या आप अपनी सेवा के दौरान कभी किसी घटना से भयभीत हुए हैं।
जवाब– यह तो स्वभाविक प्रकिया है। लेकिन कभी कभी चीजें ऐसी होती है। व्यक्ति भयभीत होता है। नई चीज है कि अपने आप में भरोसा चाहिए। हम सही दिशा में जा रहे हैं, अगर ये विश्वास होता है। किसी निर्दोष पर एक्शन न हो पाए। इन सब कामों से एक आत्मविश्वास आता है।
सवाल– छत्तीसगढ़ एक बड़ा इलाका नक्सल प्रभावित है। इसको संभालने का आपका अनुभव कैसा रहा।
जवाब–जो मेरा सामना हुआ, सबसे पहला मेरा कदम जिला गरियाबंद था। जहां सबसे पहले मेरी पदस्थापना एसपी नक्सल अभियान के रूप में। फिर इसके बाद यह जिला राजस्व जिला बना। उसमें हमने थाने आदि की स्थापना में मेरी भूमिका रही। फिर स्पेशल टॉस्क फोर्स में मेरी पदस्थापना हुई। फिर हमने छत्तीसगढ़ में अभियान चलाया। इसमें सबसे ज्यादा अनुभव ढाई साल अनुभव है। जहां असुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, रायगढ़ और महासमुंद में अभियान चलाया था।
इसके बाद एपसी बस्तर के तौर पर भी पदस्थापना रही है। इस दौरान हमने 5 बड़े लीडरों का सफाया भी किया था। इसके अंतर्गत हमलोगों ने जनता से जुड़ने के लिए आमचो बस्तर आमचो पुलिस अभियान भी चलाया था। इसके लिए हमें अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। मूल रूप से विश्वास, विकास और सुरक्षा के मुख्य उदेश्य पर ही पुलिस ने काम किया।
सवाल-कोई भी घटना जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं और अफसोस करते हैं कि आप इसे कैसे अलग तरीके से संभाल सकते थे।
जवाब-ये तो मानवीय प्रकृति है कि वे बार-बार समीक्षा करता है कि हमने गलत किया कि सही। मैंने ये किया होता, तो ये होता। जो हो गया , उसे भूलकर आगे बढ़ना होता है। लेकिन जो सीख मिलती है, उसके साथ आगे बढ़ना चाहिए। आगे किसी प्रकार की गलती न हो।
सवाल-आप हाल के दिनों में पुलिसिंग को कैसे बदलते हुए देखते हैं।
जवाब-अगर पिछले 18 साल के पुलसिंग सिस्टम की बात करें तो बहुत कुछ बदला है। इसमें अमूलचूल परिवर्तन हुआ। अब नये-नये तरीके क्राइम आ रहे हैं। उसी तरीके सुलझा रहे हैं। इसके साथ ही साइबर क्राइम के साथ अन्य चीजों को लेकर जन जागरुकता भी पैदा कर रहे है। अब पुलिस को हमेशा अलर्ट रहती है। ताकि तत्काल एक्शन लिया जाए।
सवाल–आप सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं, आप अपने फॉलोअर्स को क्या संदेश देना चाहते हैं।
जवाब-सोशल मीडिया पर ऑफिशियली कुछ शेयर नहीं करता। मेरे जीवन की जो, हॉवी है, उन्हीं चीजों को ही शेयर करता हूं। मैं फालोआर्स के लिए ये कहूंगा, अपना गोल के ऊपर ही फोकस रखिए। पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को मिक्स मत रखिएगा। निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी।
सवाल—एक पुलिस अधिकारी के रूप में आप कितने सुलभ हैं
जवाब-मुझे हर कोई सोशल मिडिया, मोबाइल के माध्यम से या आफिस में आकर मिल सकता है। मैं हमेशा सुलभ हूं। किसी को जो समस्या या कठिनाई को दूर करने की हर संभव कोशिश करता हूं। मुझसे कोई भी मेरे आफिस आकर भी कोई अपनी परेशानी लेकर आ सकता है। जिसे मैं हर संभव मदद करूंगा।
सवाल-एक युवा और गतिशील आईपीएस होने के नाते उन लोगों के लिए आपका क्या संदेश है, जो आईपीएस बनना चाहते हैं।
जवाब-आईपीएस बनने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है आप यूपीएससी की परीक्षा पास करनी पड़ेगी। इसके लिए आप अपने तैयारी और लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखें। आप को यह पता होना चाहिए, आप क्या करने जा रहे है। बहुत ही प्लान के रुप में अध्ययन करना होगा। इसकी तैयारी के लिए अब भटकना नहीं है। अब तो बहुत ज्यादा ऑनलाइन रिर्सोस है। आप अपने ऊपर विश्वास करिए। अपना एक सिलेबस बनाइए। ये परीक्षा ज्यादा बार देने की नहीं है। मन ये विश्वास रखिए हम पहली बार में ही क्लीयर करनी है। बहुत लोग अपने प्लान बी के बारे में बहुत ज्यादा परेशान रहते है कि अगर ये नहीं कर पाया तो मेरा क्या भविष्य होगा। अपने ऊपर भरोसा रखिए। निश्चित तौर पर आपको सफलता मिलेगी।
सवाल-अभिनेता मुकेश त्रृषि से जुड़ी कहानी और आपका अनुभव क्या है।
जवाब-मैं तो उनके बारे में यही कहना चाहूंगा कि वे मुझे नहीं जानते, लेकिन मै जानता हूं। हम लोग मुंबई के अंधेरी इस्ट में बचपन बीता है। उस समय वे पंचवटी कालोनी में रहते थे। वे विजय नगर की ओर जाते थे। जब भी हम बच्चे देखते थे तो डर जाते थे। क्योंकि फिल्म गर्दिश में उन्होंने एक विलेन बिल्ला जिलानी का किरदार निभाया था। वे अक्सर पैदल ही जाते थे।, उनका मेरा अक्सर ही आमना-सामना होता था। पता नहीं उन्हें याद है कि नहीं।
सवाल-आपकी फिटनेस का राज क्या है।
जवाब-फिटनेस मेरी जेनेटिक्स भी है। मैं ज्यादा फूडी हूं। इसके लिए मैं बहुत ज्यादा मेहनत भी करता हूं। वर्क आउट भी भरोसा भी करता हूं। मैं खाने को पचाने के लिए भी वर्क आउट करता है। डाइट चार्ट के हिसाब से भी खान पान करता हूं। जैसे कब क्या खाना है।