ओरछा में राम हैं राजा और दी जाती है सलामी
By : hashtagu, Last Updated : January 21, 2024 | 3:13 pm
वेतवा नदी के तट पर बसी यह ऐसी नगरी है जहां सिर्फ राम राजा को सलामी दी जाती है। किसी भी विशिष्ट व्यक्ति को ओरछा की चारदीवारी के भीतर कभी भी सलामी नहीं दी जाती।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम के ओरछा में राजा के तौर पर पूजे जाने की कहानी है। बात कोई 1554 से 1594 के बीच की है ।ओरछा में बुंदेला राजवंश का राज हुआ करता था, यहां के तत्कालीन राजा मधुकर शाह कृष्ण भक्त थे और उनकी पत्नी कुंवर गणेश राम भक्त।
कहा जाता है कि राजा मधुकर शाह ने वृंदावन जाने का कार्यक्रम बनाया, मगर कुंवर गणेश जाने को तैयार नहीं हुई। इसी बात पर दोनों में बहस हो गई और राजा ने रानी को चुनौती दे दी कि अगर वाकई में राम भगवान हैं तो उन्हें ओरछा लेकर आओ।
कहा जाता है कि राजा की चुनौती को स्वीकारते हुए रानी कुंवर गणेश अयोध्या को चल दी। अयोध्या पहुंचकर राम की प्रार्थना की और उनसे अयोध्या से ओरछा चलने का आग्रह किया, मगर सफलता नहीं मिली, इससे रानी निराश हो गई और उन्होंने आत्महत्या के लिए सरयू में छलांग लगा दी।
इस दौरान रानी के पल्लू में राम जी की प्रतिमा आ गई। राम जी ओरछा के लिए चलने को तैयार हुए मगर कुछ शर्तों के साथ। उन्होंने कहा कि उन्हें लेकर कुंवर गणेश पैदल चलेंगे और सिर्फ उस दिन जिस दिन पुख्य नक्षत्र होगा। इतना ही नहीं जहां एक बार विराजे जाएंगे, वहीं पर स्थिर रहेंगे। साथ ही ओरछा के राजा कहलायेंगे।
फिर क्या था कुंवर गणेश राम जी को लेकर अयोध्या से चल दीं। ओरछा पहुंचीं तो मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था। ऐसे में रानी ने राम जी की प्रतिमा को रसोई में रख दिया और फिर राम जी वहां से उठे नहीं।
वर्तमान में जहां मंदिर है वहां राज परिवार की कभी रसोई हुआ करती थी। स्थानीय जानकार पं जगदीश तिवारी बताते हैं कि ओरछा में राम भगवान नहीं बल्कि राजा हैं। राम जी को तीन पहर की सलामी दी जाती है और अन्य किसी को यहां सलामी का प्रावधान नहीं है। इसीलिए कहा जाता है राम के दो निवास खास, दिवस ओरछा रहत शयन अयोध्या वास। अयोध्या में सोमवार 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है और इस मौके पर ओरछा में भी विविध आयोजन होंगे। बुंदेलखंड की इस अयोध्या में राम को राजा माना जाता है।