‘अग्निपथ’ पर राहुल की सूनामी में ‘नफरत’ के बुझे अंगारे, पढ़ें, ‘कोको पाढ़ी’ की आंखों देखी
By : madhukar dubey, Last Updated : February 1, 2023 | 12:03 pm
सात सितंबर 2022 का वह दिन था जब दक्षिण भारत के कन्याकुमारी से शुरू होने जा रहे राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा (bharat jodo yaatra) की तैयारी में हम सब, युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास जी के साथ जुटे हुए थे।तब हमें इस बात की उम्मीद तो थी कि जिन मुद्दों के साथ राहुल जी इसकी शुरुआत करने जा रहे हैं,उसे व्यापक जन समर्थन मिलेगा, पर 136 दिन के इस यात्रा में गुजरे 14 राज्यों में राज्य के लोगों का ही नहीं बल्कि देश भर के विभिन्न क्षेत्रों,अलग-अलग विधावों से जुड़े प्रबुद्ध जनों का समय-समय पर यात्रा में सम्मिलित हो कर निर्भीक समर्थन मिला और यह आजाद भारत में पहली बार हुआ।
पहली बार यह भी हुआ कि राहुल गांधी के साथ जिस तरह का जन समर्थन पूरी दुनियां ने लगातार बढ़ते क्रम में देखा वैसा और किसी नेता के साथ नहीं देखा। सच में राहुल जी इस यात्रा के ज़रिए देश में नफ़रत के ख़िलाफ़ मोहब्बत की दुकान खोल दिया है।अब हमारी जिम्मेदारी है कि इस मोहब्ब्त की दुकान को बन्द होने देना नहीं है।देश के नवजवानों को जब तक रोज़गार नहीं मिल जाती, लोगों को महंगाई से निजात नहीं मिलती तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
बीते कुछ सालों से पूरे देश में बीजेपी और सोशल मीडिया ट्रोल ने राहुल गांधी की एक अलग छवि गढ़ने का प्रयास किया। राहुल गांधी का मज़ाक बनाते हुए मीम सोशल मीडिया पर शेयर किए गए।परंतु राष्ट्रीय युवा कांग्रेस ने ठीक उसी तर्ज पर जब इसका जवाब देना शुरू किया तो ये मीम काफी हद तक कम हो गए और अब तो राहुल गांधी के पदयात्रा के बाद सकारात्मक कई कंटेंट सोशल मीडिया पर बढ़ते जा रहे हैं।यात्रा के दौरान राहुल गांधी की बच्चों,बुजुर्गों और आम लोगों के साथ ली गई यादगार तस्वीरों ने लोगों का जहां ध्यान खींचा,वहीं राहुल जी की एक सकारात्मक छबि भी लोगों को साफ समझ आई है।निश्चित रूप से यात्राएं व्यक्तित्व को गंभीर बनाती हैं और इस जरिए उन्होंने पूरे भारत को करीब से देखा और भारत के हर गंभीर मुद्दे को समझा भी है।
राहुल गांधी इस यात्रा के ज़रिए विरोधियों के उन सभी सवालों को ख़ारिज कर दिया है जो उन पर जानबूझकर उठाये जाते थे।पार्टी के अंदर भी वे एक ऐसे निर्विवाद नेता बन गए हैं। जिनका नेतृत्व सबको स्वीकार्य तो है ही साथ ही उनके पीछे सब चलने भी तैयार हैं और मैं मानता हूं यह इस यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
हर ज़र्रे से हुंकार यही, भारत तेरे लाल यहीं
रग रग में है प्यार तेरा, बेहतर कल की शुरुआत यहींकांग्रेस के कार्यकर्ताओं, मेरे बब्बर शेरों को मेरा सलाम! pic.twitter.com/7wiV4vk6iA
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 31, 2023
इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी ख़ुद को स्थापित कर पूरे विपक्ष को भी साफ संदेश देने सफल हुए हैं कि देश में विपक्ष कांग्रेस के बिना नहीं हो सकता।इस यात्रा ने कईयों को राहुल गांधी के करीब लाया भले ही यात्रा के साथी अखिलेश यादव, नीतीश कुमार, केसीआर और ममता बैनर्जी जैसे नेता नहीं बन सके पर इनमें से किसी ने इसका विरोध भी नहीं किया।यह भी सत्य है कि देश में किसी और दल के नेता के वश की बात नहीं कि राहुल गांधी जैसे इतनी बड़ी लम्बी यात्रा कर सके और मैं समझता हूं यात्रा की यही उपलब्धि है। मेरा मानना है कि भारत की राजनीति में राहुल गांधी ने इस यात्रा के जरिए एक लंबी लकीर खींच दी है।जिसका असर ये भी है कि आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मुसलमानों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश में लग गई है।
राहुल गांधी इस यात्रा में पूरी श्रद्धा के साथ मंदिरों में गए, बार-बार भगवान का ज़िक्र किया। इसलिए नहीं कि उन्हें ये साबित करना था कि वे हिंदुत्व के भी पक्षधर हैं बल्कि उनकी खुद की सोच,कांग्रेस पार्टी की विचारधारा रही है कि इतने बड़े लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्ष देश में आप एक बड़ी आबादी को धर्म के आधार पर अलग नहीं कर सकते।मैं यह भी कहूंगा कि आज हिंदुत्व सिर्फ़ एकमात्र मुद्दा नहीं है।बल्कि महंगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार जैसे भारत में अब भी बड़े मुद्दे हैं।जिससे आज की युवा पीढ़ी सीधा कनेक्ट है।
यात्रा के जरिए राहुल गांधी ने यह सिख दी है कि विपक्ष को ही नहीं बल्कि खुद की पार्टी को भी मज़बूत होने के लिए लोगों के बीच जाना होगा और उनसे बात करनी होगी।मोदी काल में बीजेपी मीडिया पर पूरी तरह से हावी रही है या कहें मोदी को पीएम बनाने मीडिया की ही बड़ी भूमिका रही है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा,पर राहुल गांधी ने इस मिथक को तोड़ दिया है।उन्होंने यात्रा की शुरुआत ही इस बात से की थी कि विपक्ष की बात मीडिया सुनती नहीं,देश का मौजूदा हालात क्या है आम पब्लिक को दिखाती नहीं इसलिए हम सीधे जनता के बीच संवाद करेंगे और इसका असर ये हुआ कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के ज़रिए लोगों के बीच जाकर ये साबित कर दिया कि विपक्ष भी अपनी जगह बना सकता है।
आज देखेंगे सिर्फ़ क्षेत्रीय मीडिया ने ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय मीडिया ने भी राहुल गांधी की कवरेज की है और हर प्लेटफार्म पर राहुल दिखाई देने लगे हैं।कभी भींगते बारिश में उनके भाषण की चर्चा तो कश्मीर में गिरते ओले के बीच उनके भावुक उद्बोधन की चर्चा।अब युवक कांग्रेस की बड़ी जिम्मेदारी है कि राहुल गांधी के इस अभियान को देश भर के युवाओं तक पहुंचाया जाए । यह यात्रा तभी सफल होगी जब पूरे देश में राहुल गांधी के इस अभियान की गूंज सुनाई देगी। निश्चित तौर पर हम इसे शहर से लेकर गांव-गांव तक पहुंचाने अभियान चलाएंगे और सफल भी होंगे।
(लेखक : पूर्णचंद्र(कोको)पाढ़ी , भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं)