भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक रविवार को, जम्मू-कश्मीर के उम्मीदवारों के नाम पर लगेगी मुहर

By : hashtagu, Last Updated : August 25, 2024 | 10:28 am

नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)। जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) और हरियाणा में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा करने के लिए भाजपा में विचार-मंथन और बैठकों का दौर लगातार जारी है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में रविवार को दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होने जा रही है।

बताया जा रहा है कि रविवार को होने वाली भाजपा के केंद्रीय चुनाव समिति की इस बैठक में जम्मू कश्मीर के लगभग 24 उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम मुहर लगाई जा सकती है।

बैठक में हरियाणा के उम्मीदवारों के नाम पर भी सीट वाइज चर्चा की जा सकती है, हालांकि इसको लेकर स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं है।

केंद्रीय मंत्री एवं जम्मू कश्मीर के चुनाव प्रभारी जी. किशन रेड्डी ने पार्टी के केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रविवार को होने वाली बैठक में जम्मू कश्मीर में पहले चरण के तहत मतदान वाली सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय किए जाएंगे।

आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा का चुनाव होना है। राज्य में पहले चरण के मतदान के तहत 18 सितंबर को 24 सीटों पर चुनाव होना है। वहीं दूसरे चरण के तहत 25 सितंबर को 26 सीटों पर और तीसरे चरण के तहत एक अक्टूबर को 40 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है।

जम्मू कश्मीर में गठबंधन को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए जी. किशन रेड्डी ने दावा किया कि किसी से कोई बात नहीं हो रही है। भाजपा जम्मू कश्मीर में अकेले चुनाव लड़ेगी। पार्टी जम्मू कश्मीर में जितनी सीटों पर लड़ने का फैसला करेगी, हम उतनी सीटों पर पूरी मजबूती और जी-जान के साथ चुनाव लड़ेंगे।

जम्मू कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के साथ पहले गठबंधन सरकार चला चुकी भाजपा इस बार चुनाव से पहले या चुनाव के बाद भी पीडीपी के साथ गठबंधन के सवाल को पूरी तरह से नकार रही है। पत्रकारों द्वारा पीडीपी से गठबंधन को लेकर बार-बार पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए जम्मू कश्मीर के चुनाव प्रभारी जी. किशन रेड्डी ने पुरजोर शब्दों में कहा कि यह अनुच्छेद 370 हटाने से पहले की बात थी। अब माहौल पूरी तरह से बदल गया है। भविष्य में (चुनाव बाद भी) अब पीडीपी को साथ लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।