चंपई सोरेन नंगे पांव संघर्ष करने वाले आंदोलनकारी हैं, उनके बारे में सीएम और मंत्री के बयान दुर्भाग्यजनक : अर्जुन मुंडा

पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अर्जुन मुंड ने कहा है कि झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन 'जल, जंगल, जमीन'

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  • Updated On - August 20, 2024 / 11:12 PM IST

रांची, 20 अगस्त (आईएएनएस)। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अर्जुन मुंडा (Senior BJP leader Arjun Munda) ने कहा है कि झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन (Former CM of Jharkhand Champai Soren) ‘जल, जंगल, जमीन’ के आंदोलन से निकले हुए नेता हैं। उनके बारे में राज्य के सीएम, मंत्री और कुछ नेता जिस तरह का बयान दे रहे हैं, वह दुर्भाग्यजनक है।

उन्होंने जोर देकर कहा, “चंपई सोरेन को सीएम बनाना और फिर इस पद से उन्हें हटाया जाना राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन का अपना मामला हो सकता है। लेकिन, अब उन पर लगाए जा रहे आरोप और उनके बारे में कही जा रही बातें दुखद हैं।”

रांची में अपने आवास पर आईएएनएस से बात करते हुए मुंडा ने सीएम हेमंत सोरेन का नाम लिए बगैर कहा, “उन्होंने संकट के वक्त चंपई सोरेन को चाचा कहते हुए दायित्व सौंपा, जिसे उन्होंने निभाया भी। लेकिन, जेल से आते ही उनकी चिंता इस बात की थी कि कुर्सी वापस कितनी जल्द हासिल करें। इससे तो यही लगता है कि उनके मन में ना तो चाचा चंपई सोरेन के साथ रिश्ते के लिए कोई सम्मान है, ना संगठन और आदिवासियों का। विधानसभा चुनाव तक चंपई सोरेन को उनके पद पर बनाए रखा जाता तो माना जाता कि उनके सम्मान का ख्याल रखा गया।”

मुंडा ने कहा, “चंपई सोरेन और मैं झारखंड की लड़ाई के दिनों के साथी रहे हैं। जब झारखंड के ‘जल, जंगल, जमीन’ और इसके बुनियादी मुद्दों पर कोई बात भी नहीं करता था, तब एकीकृत सिंहभूम में चंपई सोरेन सरीखे लोगों ने नंगे पांव संघर्ष किया। वे हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के साथ मिलकर आंदोलन करने वाले लोगों में हैं। उनके बारे में अब आप इस तरह की बात करेंगे तो इससे यही झलकता है कि आप कितने हताश और निराश हैं।”

मुंडा ने कहा, “चंपई सोरेन के बारे में शिबू सोरेन कुछ कहते तो बात समझी जा सकती थी, लेकिन परिवार के जरिए राजनीति में आए लोग अब उन पर आरोप लगाएंगे तो मुझे इस पर गहरी आपत्ति है। चंपई सोरेन जी ने सोशल मीडिया पर अपने साथ हुए सलूक के बारे में जो बयान दिया है, उससे उनका दर्द पता चलता है।”

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आंदोलन के पुराने दिनों का जिक्र करते हुए कहा, “उन दिनों आज का कोल्हान प्रमंडल एकीकृत सिंहभूम जिला हुआ करता था और वहां जंगलों से निकलकर मोरा मुंडा, मछुआ गगराई, सिदु कुई, चंपई सोरेन, रामदास सोरेन और मेरे जैसे लोग लड़ते रहे। झारखंड आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा मुकदमे इसी क्षेत्र के लोगों पर हुए। संघर्ष लंबा चला और इसके बाद हममें से कई लोग चुनावी राजनीति में धीरे-धीरे सशक्त हुए।”

राज्य की हेमंत सोरेन सरकार की ओर से चुनाव के वक्त शुरू की जा रही योजनाओं और घोषणाओं पर अर्जुन मुंडा ने कहा, “इनकी योजनाओं और घोषणाओं में आदिवासियों के बारे में चिंता कम है। तात्कालिक लाभ के लिए यह सब हो रहा है।”

तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके अर्जुन मुंडा ने कहा कि हमने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान और उन्हें सम्मान देने के लिए आयोग गठित किया था। यह कोई दलीय दृष्टिकोण से लिया गया फैसला नहीं था। झारखंड आंदोलन में जिनकी भी भागीदारी रही, चाहे वह किसी भी दल या संगठन के हों, उन्हें सम्मान देना इस आयोग का उद्देश्य रहा है। ध्यान रखा जाना चाहिए कि राज्य में किसी आंदोलनकारी का अपमान नहीं हो।”

झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति के बारे में पूछे गए सवाल पर मुंडा ने कहा, “हमारी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। हमारी पार्टी राष्ट्रीय हित के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रखकर काम करती है।” क्या आप विधानसभा चुनाव लड़ेंगे? इस सवाल पर मुंडा ने कहा, “इस पर अभी कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।”

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