पटना में कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन: राहुल गांधी का अति पिछड़ा दांव, तेजस्वी पर सियासी दबाव

By : ira saxena, Last Updated : September 24, 2025 | 1:01 pm

पटना: बिहार की राजनीति में कांग्रेस (Congress) एक बार फिर एक्टिव मोड में नजर आ रही है। पटना में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने सियासी पिच पर नया दांव खेला है। उन्होंने अति पिछड़ा जाति (EBC) को केंद्र में रखकर रणनीति बनाई है, जिससे न केवल वोट बैंक मजबूत हो, बल्कि महागठबंधन में कांग्रेस की स्थिति भी और सशक्त हो सके। यह दांव सीधा-सीधा तेजस्वी यादव पर दबाव बनाने वाला है, जो अब तक यादव-मुस्लिम समीकरण पर भरोसा करते रहे हैं।

राहुल गांधी ने वोट अधिकार यात्रा के जरिए बिहार की 174 विधानसभा सीटों पर पहुंचकर राजनीतिक माहौल तो पहले ही बना दिया था, लेकिन अब वह इसे संगठनात्मक ताकत में बदलना चाहते हैं। कांग्रेस का पटना स्थित दफ्तर सदाक़त आश्रम पूरी तरह सजा-धजा है और कार्यकर्ता बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं।

राहुल का फोकस क्यों है अति पिछड़ा वर्ग पर?

2022 में हुए बिहार जातीय सर्वेक्षण के अनुसार, 36 फीसदी आबादी अति पिछड़ी जातियों की है। यह वर्ग परंपरागत रूप से जदयू और बीजेपी का समर्थन करता आया है। राहुल गांधी को यह भलीभांति पता है कि इस वोट बैंक में सेंध लगाए बिना बिहार में कोई बड़ी जीत संभव नहीं। इसीलिए कांग्रेस ने इस वर्ग को साधने के लिए अलग से आरक्षण की बात कही है और इसे संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने की वकालत कर रही है, जिससे यह आरक्षण कोर्ट में चुनौती से बच सके।

किसके साथ खड़े नजर आए राहुल?

पूरे वोट अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी को अपने साथ रखा, जिनके पास करीब 3 फीसदी वोट माने जाते हैं। साथ ही माले के नेता दीपांकर भट्टाचार्य को भी यात्रा में प्रमुख स्थान दिया गया क्योंकि माले का भी अति पिछड़ा वर्ग में असर है।

कांग्रेस जानती है कि आरजेडी का परंपरागत यादव-मुस्लिम वोट उनके साथ रहेगा, और कुछ अन्य पिछड़ी जातियों का समर्थन भी उम्मीदवार पर निर्भर करता है। लेकिन अगर अति पिछड़ा, दलित और कुछ सवर्ण वोट कांग्रेस के पाले में आ गया, तो महागठबंधन को बड़ी मजबूती मिल सकती है।

क्या तेजस्वी यादव पर है दबाव?

राजद नेता तेजस्वी यादव पहले ही कांग्रेस पर सीट शेयरिंग को लेकर ‘सीट चोरी’ के आरोप जता चुके हैं, और अब कांग्रेस भी ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर आक्रामक है। कार्यसमिति की बैठक के अगले ही दिन कांग्रेस नेता बिहार के 20 जिलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस और डोर-टू-डोर प्रचार करेंगे। यह साफ संकेत है कि कांग्रेस इस बार सिर्फ दिखावे की राजनीति नहीं, बल्कि जमीन पर उतरकर चुनावी मोर्चा संभालना चाहती है।

प्रियंका गांधी भी पेश करेंगी महिला एजेंडा

26 सितंबर को प्रियंका गांधी बिहार में महिला मतदाताओं से जुड़ा एजेंडा पेश करेंगी। महागठबंधन पहले ही महिलाओं को ₹2500 महीना देने की घोषणा कर चुका है। प्रियंका इस स्कीम को और मजबूती देने के लिए कुछ और घोषणाएं कर सकती हैं।

क्या कांग्रेस तैयार है जमीन की लड़ाई के लिए?

अब सवाल ये है कि क्या कांग्रेस का संगठन वोट में तब्दील होने लायक ताकतवर है? क्या उनके पास ऐसे जिताऊ उम्मीदवार हैं जो इस माहौल को जीत में बदल सकें? क्योंकि कांग्रेस की कोशिशें तो बड़ी हैं, लेकिन बिहार जैसे जमीन से जुड़ी राजनीति वाले राज्य में सिर्फ रणनीति नहीं, जमीनी पकड़ भी जरूरी होती है।

चाय और पान की दुकानों से लेकर सियासी गलियारों तक अब चर्चा है कि कांग्रेस इस बार कुछ अलग कर रही है। लेकिन अंतिम सवाल अब भी यही है — क्या कांग्रेस अपने बूते बिहार में नैया पार लगा पाएगी या फिर ये कोशिशें सिर्फ शोर बनकर रह जाएंगी?