तिरुवनंतपुरम, 30 जुलाई (आईएएनएस)। तिरुवनंतपुरम भले ही केरल की राजधानी हो, लेकिन कन्नूर जिला (Kannur District) ही राज्य की राजनीतिक राजधानी है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन(Kerala Chief Minister Pinarayi Vijayan) , सीपीआई (एम) के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन, केरल विधानसभा अध्यक्ष ए.एन. शमसीर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के. सुधाकरन, भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन, एलडीएफ संयोजक ई.पी. जयराजन सभी इसी जिले से आते हैं।
सीपीआई (एम) और आरएसएस-बीजेपी के बीच वर्षों तक खूनी द्वंद्व चला है, जिसमें साठ के दशक के बाद से अब तक कई लोगों की जान गई है। कई लोग जीवन भर के लिए बिस्तर पर पड़े हैं और अपने हाथ और पैर खो चुके हैं। कुछ लोगों की आंखें चली गईं।
हाल ही में केरल विधानसभा अध्यक्ष और कन्नूर जिले के थालास्सेरी से विधायक ए.एन. शमसीर ने एक सार्वजनिक बैठक में विज्ञान में हुए नवीनतम विकास के बारे में बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र में सत्तासीन लोग सभी आविष्कारों के लिए भारत को आगे रखते हैंं।
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी एक नया आविष्कार था, लेकिन इस पर हिंदुत्व के समर्थकों की राय थी कि भगवान गणेश को अपना चेहरा प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से मिला। स्पीकर ने इसे मिथक बताकर खारिज कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि उनके लिए राइट ब्रदर्स ने हवाई जहाज का आविष्कार किया था, लेकिन हिंदुत्व लोगों के लिए यह पुष्पक विमान (रामायण में प्रयुक्त रथ) था।
केरल विधानसभा अध्यक्ष के बयान को बीजेपी, आरएसएस और वीएचपी ने हल्के में नहीं लिया। भाजपा के राष्ट्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने एक ट्वीट में कहा, “केरल विधानसभा अध्यक्ष एएन शमसीर एक धार्मिक कट्टरपंथी हैं, जो हिंदू आस्था और विश्वासों को बदनाम करने के लिए सार्वजनिक जीवन में अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर रहे हैं। कम्युनिस्टों में हिंदूफोबिया की जड़ें गहरी हैं, जिन्होंने अब स्वघोषित मुस्लिम पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया है।”
भाजपा, आरएसएस और वीएचपी नेताओं ने केरल विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ कई मामले दर्ज किए और आरोप लगाया कि उन्होंने हिंदू धार्मिक मान्यताओं का अपमान किया है और उन्हें संवैधानिक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
भाजपा की युवा शाखा युवामोर्चा ने राज्य भर में विरोध मार्च निकाला और कई स्थानों पर विधानसभा अध्यक्ष का पुतला जलाया। शमसीर के गृह नगर थालास्सेरी में युवामोर्चा के राज्य महासचिव के. गणेश ने एक विस्फोटक भाषण में कहा कि शमसीर इस विश्वास के साथ हिंदू देवी-देवताओं पर ऐसी टिप्पणी कर रहे हैं कि पीएफआई की तरह उनकी हथेली नहीं कटेगी। राज्य में एक कॉलेज के प्रोफेसर पर कथित तौर पर एक ऐसा प्रश्न तैयार करने का आरोप है, जिसे धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा पैगंबर मोहम्मद का अपमान माना गया था।
युवा मोर्चा नेता के भाषण पर सीपीआई (एम) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसके वरिष्ठ नेताओं में से एक पार्टी के पूर्व कन्नूर जिला सचिव पी. जयराजन ने एक सार्वजनिक भाषण में कहा कि युवामोर्चा की जगह मुर्दाघर में होगी। गौरतलब है कि सीपीआई (एम) और आरएसएस, बीजेपी थालास्सेरी में हिंसक राजनीतिक झड़पों में शामिल रहे हैं, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई लोग जीवन भर के लिए अपंग हो गए।
युवामोर्चा नेता के भाषण और सीपीआई (एम) नेता के जवाबी भाषण को कन्नूर जिले में हिंसा भड़काने वाला माना जा रहा है और कई स्थानीय लोगों को डर है कि इससे जिले में हिंसा भड़क सकती है।
कन्नूर हमेशा अस्थिर रहा है और वरिष्ठ नेताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। सीपीआई (एम) नेता, पी.जयराजन पर धमकी भरा भाषण देने पर आरएसएस के एक कथित समूह ने हमला किया था जिसमें उन्हें गंभीर चोटें आईं थीं।
भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष के.टी. जयकृष्णन, जो एक उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे, उन्हें 1 दिसंबर, 1999 को उस समय मार डाला जब वे मोकेरी ईस्ट यूपी स्कूल की कक्षा में पढ़ा रहे थे। इस घटना को जयराजन पर हुए हमले की प्रतिक्रिया माना गया।
एसएफआई के राज्य संयुक्त सचिव के.वी. सुधीश, जो कन्नूर के जिला पंचायत सदस्य भी थे, उन्हें कथित तौर पर आरएसएस के लोगों ने 26 जनवरी 1994 को उनके घर पर उनके माता-पिता के सामने मार डाला था। यह 25 जनवरी, 1994 की शाम को आरएसएस के कन्नूर जिले के तत्कालीन संयुक्त सचिव सी. सदानंदन मास्टर पर सीपीआई (एम) के हमले का जवाब था, जिसमें उन्होंने अपने दोनों पैर खो दिए थे।
सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक रॉय मैथ्यू ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “कन्नूर में हत्याएं और जवाबी हत्याएं आम बात हो गई हैं। भाजपा और सीपीआई (एम) नेताओं की हालिया नाराजगी नियंत्रण से बाहर होती दिख रही है और अगर पुलिस इन नफरत भरे भाषणों के समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करती है, तो चीजें नियंत्रण से बाहर होने की संभावना है।
साठ के दशक के उत्तरार्ध से सीपीआई (एम) और आरएसएस के बीच राजनीतिक युद्धों में कन्नूर जिले में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई है। जब तक दोनों पक्ष मतभेदों को दूर नहीं करते और सार्वजनिक भाषणों पर नियंत्रण नहीं करते, चीजें फिर से वैसी ही हो सकती हैं। कन्नूर में हत्याओं और जवाबी हत्याओं के पुराने दिन वापस आ सकते हैं।
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