हेमंत सोरेन को एससी से बड़ी राहत, माइनिंग लीज मामले में पीआईएल सुनवाई योग्य नहीं
By : hashtagu, Last Updated : November 7, 2022 | 1:38 pm
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने सोमवार को यह फैसला दिया कि शिवशंकर शर्मा नामक शख्स की ओर से हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इसके पहले झारखंड हाई कोर्ट ने इस याचिका को मेंटेनेबल यानी सुनवाई योग्य माना था।
राज्य सरकार और हेमंत सोरेन की अपील पर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हाईकोर्ट में दाखिल पीआईएल की मेंटेनेब्लिटी पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि जिस शिव शंकर शर्मा की तरफ से सीएम हेमंत सोरेन और उनके करीबियों पर आरोप लगाते हुए दायर की गयी दोनों पीआईएल का उद्देश्य भयादोहन करना है। याचिकाकर्ता के पिता की सोरेन परिवार के साथ पुरानी रंजिश रही है। सुप्रीम कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई थी कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस ने एक्सटॉर्शन की 50 लाख रुपये की राशि के साथ गिरफ्तार किया गया है।
इस मामले में प्रतिवादी बनाये गये ईडी के वकील ने भी अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि शेल कंपनियों में निवेश और माइनिंग लीज आवंटन के मामले में पर्याप्त तथ्य हैं, जिसके आधार पर याचिका पर बहस जारी रखी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की दलील को नकारते हुए कहा था कि अगर ईडी के पास शेल कंपनियों में कथित निवेश और माइनिंग लीज आवंटन के मामले में मनीलांड्रिंग के सबूत हैं तो वह खुद इसकी जांच कर सकती है। वह एक व्यक्ति की ओर से दाखिल पीआईएल की आड़ में जांच के लिए कोर्ट का आदेश क्यों चाहती है?