हिमाचल को विरासत में मिला 75 हजार करोड़ का कर्ज : मंत्री

By : brijeshtiwari, Last Updated : January 9, 2023 | 10:32 pm

चंडीगढ़, 9 जनवरी (आईएएनएस)| हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह (anirudh Singh) और विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ने सोमवार को कहा कि पिछली भाजपा (BJP) सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण प्रदेश सरकार को 75,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज विरासत में मिला है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सरकार ने मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने कार्यकाल के अंत में बजटीय प्रावधान के बिना बड़ी संख्या में सरकारी कार्यालय खोले और अपग्रेड किए।

विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर (JaiRam Thakur) को निराधार और अनुचित बयान जारी करने से बचने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री (Chief Minister) विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए पिछली सरकार द्वारा खोले गए संस्थानों की अधिसूचना रद्द करने का मुद्दा उठा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इन सभी संस्थानों को मतदाताओं को लुभाने के एकमात्र मकसद से खोला और अपग्रेड किया गया था। मौजूदा सरकार ने ऐसे संस्थानों को बंद करने का निर्णय लिया है और इन सभी की समीक्षा की जाएगी और यदि व्यवहार्य और आवश्यक पाया गया तो उचित बजटीय प्रावधान करके खोला जाएगा।

रविवार को डीजल पर वैट में बढ़ोतरी को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि सरकार पर विरासत में 75,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और उस पर करीब 5,000 करोड़ रुपये की वित्तीय देनदारी है।

मंत्रियों ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री के आरोप भी बेबुनियाद हैं।

उन्होंने जय राम ठाकुर को विभिन्न बोर्डो और निगमों में बड़ी संख्या में अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्ति के बारे में याद दिलाया।

अनिरुद्ध सिंह और विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सरकार के साथ मुख्य कार्य पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना, आय सृजन के संसाधन बनाना और अनुत्पादक व्यय में कटौती करना है।