हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के छह बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त की

हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने गुरुवार को सत्तारूढ़ काँग्रेस के छह बागी विधायकों को तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता

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  • Publish Date - February 29, 2024 / 02:21 PM IST

शिमला, 29 फरवरी (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया (Himachal Pradesh Assembly Speaker Kuldeep Singh Pathania) ने गुरुवार को सत्तारूढ़ काँग्रेस के छह बागी विधायकों (Himachal Pradesh Six rebel Congress MLAs)  को तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता से बर्खास्त (Dismissed membership) कर दिया। उन्होंने कहा, “विधायकों ने वित्त विधेयक पर सरकार के पक्ष में मतदान करने के पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने वाले सभी छह विधायकों ने पर दलबदल विरोधी कानून के प्रावधान लागू करने की स्थिति बनी है।

  • उन्होंने यहां मीडिया से कहा, “मैं घोषणा करता हूं कि छह लोग तत्काल प्रभाव से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे।” स्पीकर ने यह आदेश संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान के अनुरोध पर दिया, जिन्होंने दलबदल विरोधी कानून के तहत छह विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी।

उल्लेखनीय है कि इन्हीं छह विधायकों ने राज्यसभा के लिए भाजपा के एकमात्र उम्मीदवार के समर्थन में क्रॉस वोटिंग की थी। इस बीच, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस विधायकों को यहां नाश्ते पर बैठक के लिए बुलाया। विक्रमादित्य सिंह समेत चार विधायक सीएम आवास नहीं पहुंचे हैं।

तीन निर्दलीय के समर्थन और काँग्रेस के छह विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद सुखविंदर सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार के अस्तित्व पर सवालिया निशान लग गया है। छह कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में एकमात्र राज्यसभा सीट जीत ली है।

जिन छह कांग्रेस विधायकों सदस्यता समाप्त की गई है, वे हैं – सुधीर शर्मा (धर्मशाला); राजिंदर राणा (सुजानपुर); इंद्र दत्त लखनपाल (बड़सर); रवि ठाकुर (लाहौल-स्पीति); चैतन्य शर्मा (गगरेट); और देवेंदर भुट्टो (कुटलैहड़)।

68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक थे, जबकि भाजपा के 25 और तीन निर्दलीय विधायक हैं। अब स्पीकर द्वारा भाजपा के पक्ष में वोट करने वाले छह बागी कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद सदन की ताकत घटकर 62 रह जाएगी, यानि बहुमत के लिए 32 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा।

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