झारखंड में जंगल राज, हर सिग्नेचर के लिए होती है वसूली, दीवार से पाताल तक मिल रहा कैश : सीतारमण
By : hashtagu, Last Updated : May 9, 2024 | 2:31 pm
रांची स्थित रेडिसन ब्लू होटल में “पूर्वी भारत : विकसित भारत के लिए उन्नति का इंजन” विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने कहा कि जब बिहार से झारखंड अलग हुआ था, तब लगा था कि इसे जंगल राज से मुक्ति मिलेगी, लेकिन दुख की बात है कि पिछले साढ़े चार से यहां नया जंगल राज शुरू हो गया।
एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के हालिया आंकड़ों का हवाला देते हुए सीतारमण ने कहा कि यहां आर्थिक और राजनीतिक वजहों से पूरे देश में सबसे ज्यादा हत्याएं होती हैं। वर्ष 2022 में इस राज्य में इन दोनों वजहों से 795 लोगों की हत्या हुई। इस राज्य की यह दुखद तस्वीर तभी बदलेगी, जब केंद्र के साथ-साथ राज्य में एक बेहतर सरकार बनेगी।
निर्मला सीतारमण ने पलायन को झारखंड की गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि संताल परगना, साहिबगंज और गोड्डा से पिछले साढ़े चार वर्षों में इस कदर पलायन हुआ कि वहां की डेमोग्राफी ही बदल गई। यहां के युवा प्रतिभाशाली हैं, लेकिन विधि-व्यवस्था की खराब स्थिति, अवसरों की कमी की वजह से लगातार पलायन कर रहे हैं।
झारखंड में हाल में केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारियों में नोटों की बरामदगी की घटनाओं का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सभी देख रहे हैं कि यहां दीवार से लेकर पाताल तक कैश मिल रहा है। इतने नोट निकल रहे हैं कि उनकी गिनती के लिए लगाई जाने वाली काउंटिंग मशीनें तक गर्म हो जा रही हैं।
उन्होंने सभागार में उपस्थित लोगों से पूछा कि क्या यही झारखंड का नसीब है?
केंद्रीय वित्त मंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जाने जाने वाले झारखंड में आदिवासियों-दलितों पर अत्याचार का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हमें जंगल राज वाला नहीं, बल्कि एक बेहतर झारखंड चाहिए। यहां के लोगों को एक मजबूत पार्लियामेंट और बेहतर राज्य के लिए वोट करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश के 40 फीसदी खनिज भंडार वाले झारखंड में बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की क्षमता है, लेकिन जब यहां हर सिग्नेचर पर पैसे की वसूली होगी तो निवेशक कैसे आएंगे? कानून-व्यवस्था खराब होगी तो यह कैसे संभव है ?
वित्त मंत्री ने झारखंड के साथ केंद्र द्वारा सौतेले सलूक के आरोपों का जोरदार खंडन करते हुए आंकड़े गिनाए कि कैसे यहां की विकास योजनाओं के लिए मौजूदा सरकार ने सबसे ज्यादा फंड दिए।
उन्होंने कहा कि केवल रेलवे की परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने 7230 करोड़ झारखंड को दिए, जबकि वर्ष 2009 से 2014 के बीच तत्कालीन यूपीए सरकार ने इसे मात्र 457 करोड़ रुपए दिए थे। झारखंड में रेलवे लाइन का शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन केंद्र सरकार ने पूरा कराया। हाईवे और एक्सप्रेस के विकास के लिए बड़ी योजनाएं इस राज्य के हिस्से में आईं। 850 करोड़ से भी ज्यादा की रकम से सिंदरी खाद कारखाने का पुनरुद्धार कराया गया।