‘अदानी’ पर मतभेद के बावजूद खड़गे विपक्षी एकता पर दे रहे जोर
By : hashtagu, Last Updated : April 9, 2023 | 10:54 am
इन सभी घटनाक्रमों के बीच, विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए पहला कदम उठाते हुए, खड़गे ने हाल ही में डीएमके के एम.के. स्टालिन, जद (यू) के नीतीश कुमार और शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे सहित विभिन्न समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं को बैठक के लिए आमंत्रित किया, ताकि एक आम एजेंडा को औपचारिक रूप दिया जा सके।
तृणमूल कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और समाजवादी पार्टी जैसी पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व को स्वीकार करने में हिचक रही है। हालांकि खड़गे ने यह कहकर मामले को साफ करने की कोशिश की है कि विपक्षी दलों में नेतृत्व को लेकर कोई गतिरोध नहीं होना चाहिए।
खड़गे ने कहा, समय अनुकूल होने पर नेतृत्व का मुद्दा उठेगा। यह सामूहिक फैसला होगा। हम एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे। लोग मोदी सरकार की नीतियों से तंग आ चुके हैं। साथ ही वंशवाद की राजनीति को लेकर बीजेपी द्वारा कांग्रेस पर हमले पर खड़गे ने कहा कि 1998 के बाद से गांधी परिवार का कोई भी सदस्य या तो प्रधानमंत्री या मंत्री नहीं रहा है।
खड़गे ने कहा, गांधी परिवार पिछले कई सालों से लोगों के मुद्दों पर आंदोलन कर रहा है, जबकि अन्य केवल आनंद ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में उठाए जाने वाले सभी मुद्दों पर उचित समय पर चर्चा की जाएगी।
इस बीच, बीआरएस नेता और राज्यसभा सांसद के. केशव राव ने कहा कि हालांकि उनकी पार्टी राजनीतिक रूप से कांग्रेस से दूर रही है, लेकिन कुछ मुद्दों पर वह मुख्य विपक्षी दल के साथ है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि वह इंतजार कर रहे हैं कि कांग्रेस विपक्ष को साथ लाने की पहल करे। पवार के यह कहने पर कि अदानी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच ही काफी है, कांग्रेस ने तुरंत जवाब दिया कि यह उनकी निजी राय है और पूरा विपक्ष जेपीसी चाहता है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, राकांपा का अपना मत हो सकता है, लेकिन समान विचारधारा वाले 19 विपक्षी दलों को यकीन है कि अदानी समूह का मुद्दा वास्तविक और बहुत गंभीर है। विपक्ष एकजुट है। संविधान और हमारे लोकतंत्र को भाजपा के हमलों से बचाने और भाजपा के विभाजनकारी और विनाशकारी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक एजेंडे को हराने में एक साथ रहेगा। शिवसेना ने कहा कि पवार के बयान से महाराष्ट्र में एमवीए को कोई नुकसान नहीं होगा। हालांकि विपक्षी एकता के लिए पहला कदम उठाया जा चुका है, फिर भी अभी मीलों चलना बाकी है।