पीएम मोदी ‘रेवड़ी’ पर व्याख्यान में व्यस्त हैं और सरकार का राजकोषीय घाटा 20 प्रतिशत बढ़ गया: कांग्रेस
By : hashtagu, Last Updated : October 25, 2023 | 3:59 pm
पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी दूसरों को ‘रेवड़ी’ (मुफ़्त उपहार) पर व्याख्यान देते हैं, जबकि उनकी सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है। यह वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में पिछले साल की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत बढ़कर 6.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अक्टूबर 2023 का आरबीआई बुलेटिन बेहद चिंताजनक आर्थिक रुझान दिखाता है। यह देश की अर्थव्यवस्था के बारे में मोदी सरकार के “निरंतर कुप्रबंधन” को दर्शाता है।
उन्होंने सितंबर 2023 के बुलेटिन को याद करते हुए कहा कि कई नकारात्मक संकेतक सामने आए हैं। इनमें बचत वृद्धि दर में 47 साल का निचला स्तर, निजी क्षेत्र के लिए घरेलू ऋण का ठहराव और एक सपाट श्रम-बल भागीदारी दर प्रमुख है।
उन्होंने आगे कहा कि ये रुझान या तो स्थिर बने हुए हैं या खराब हो गए हैं।
पार्टी के संचार प्रभारी रमेश ने कहा, “शुद्ध बचत वृद्धि दर घटने का एक प्रमुख कारण यह है कि घरेलू देनदारियों में भारी वृद्धि हुई थी। वित्त मंत्रालय के भ्रामक दावे के बावजूद कि यह वृद्धि होम और ऑटो लोन के कारण है, सितंबर बुलेटिन में स्पष्ट कहा गया है कि गोल्ड लोन में 23 प्रतिशत और पर्सनल लोन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।“
उन्होंने कहा कि अक्टूबर का आरबीआई बुलेटिन इस तथ्य की पुष्टि करता है कि अगस्त 2023 में बैंक ऋण वृद्धि में पर्सनल लोन का सबसे ज्यादा योगदान था। इसमें 23 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। गोल्ड लोन 22 प्रतिशत की दर से बढ़ा।
उन्होंने कहा, “वास्तव में, पिछले 15 महीने से गैर-आवासीय पर्सनल लोन 20 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रहे हैं। कम से कम पिछले 15 साल में ऐसा नहीं हुआ था।”
रमेश ने यह भी कहा कि इस बीच, औद्योगिक क्षेत्र के ऋण उठाव की वृद्धि दर, जो निवेश और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है, की गति धीमी रही। उन्होंने कहा, “अगस्त 2023 में यह साल-दर-साल केवल 6.1 प्रतिशत थी, जो पिछले साल की तुलना में लगभग आधी और 2013 के मुकाबले एक-तिहाई थी।
“इस बीच, उद्योग को मिलने वाला बैंक ऋण, जो 2013 में गैर-खाद्य ऋण का 46 प्रतिशत था, 2023 में घटकर केवल 24 प्रतिशत रह गया।”
महंगाई के मुद्दे पर सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने कहा, “मुद्रास्फीति 6.8 फीसदी पर नियंत्रण से बाहर है, जो आरबीआई के चार फीसदी के लक्ष्य से काफी ऊपर है। आरबीआई ने अनाज, दालों और मसालों पर लगातार मुद्रास्फीति के दबाव का मुद्दा उठाया है।”
उन्होंने कहा, “अधिकांश भारतीयों को अपनी आय पर मूल्य वृद्धि के दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जिससे बुनियादी भोजन, शिक्षा और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करना मुश्किल हो रहा है।”
प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, “जबकि प्रधानमंत्री ‘रेवड़ी’ और राजकोषीय जिम्मेदारी पर दूसरों को व्याख्यान देते हैं, जबकि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है। यह पिछले साल के मुकाबलले लगभग 20 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 की पहली तिमाही 6.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मोदी सरकार कर्ज ले रही है जिससे भविष्य में देश के नागरिकों पर बोझ पड़ेगा और कम घाटा दिखाने के लिए राज्यों को कर हस्तांतरण कम करके संघवाद के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ की विफलता और पीएलआई योजनाओं की निष्प्रभाविता इस तिमाही में चार प्रतिशत से भी कम निर्यात वृद्धि में झलकती है।
रमेश ने कहा कि निर्यात मंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित एमएसएमई हैं, जिन्हें कम मुनाफे और उच्च लागत का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा, “यह कोई नई प्रवृत्ति नहीं है – 2004-2014 तक निर्यात प्रति वर्ष औसतन 14 प्रतिशत की दर से बढ़ा, मोदी सरकार के तहत निर्यात वृद्धि दर में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट आई और यह केवल छह प्रतिशत पर रह गई। हर महीने का आरबीआई बुलेटिन मोदी सरकार के लिए एक चेतावनी है कि वह डेटा छिपाने और जनता को गुमराह करने की कितनी भी कोशिश कर ले, बुनियादी तथ्य झूठ नहीं बोलते – अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कुप्रबंधित हो गई है और अधिकांश भारतीय पीड़ित हैं।”
कांग्रेस देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार की आलोचना करती रही है।