नई दिल्ली, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)ने बुधवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में जैन धर्म के सबसे पवित्र और सर्वव्यापी मंत्र ‘नवकार महामंत्र'(‘Navkar Mahamantra’) के सामूहिक जाप में हिस्सा लिया। इस अवसर पर पीएम मोदी की सादगी ने सबका ध्यान आकर्षित किया। सफेद रंग का परिधान पहने प्रधानमंत्री बिना जूतों के सभा स्थल में पहुंचे।
उन्होंने मंच पर बैठने के बजाय सामान्य लोगों के बीच जाकर स्थान ग्रहण किया। जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते समय पीएम मोदी ने जूते नहीं पहने थे, केवल उनके पैरों में सफेद मोजे ही थे। अगाध आस्था स्वरूप उन्होंने मंच छोड़कर आम लोगों संग बैठना पसंद किया।
यह आयोजन जैन धर्म के पवित्र ‘नवकार महामंत्र’ के सामूहिक जाप के लिए आयोजित किया गया था, ये भगवान महावीर के जन्मोत्सव से जुड़ा है। पीएम मोदी का यह कदम उनकी विनम्रता और भारतीय परंपराओं के प्रति गहरे सम्मान को दिखाता है। सोशल मीडिया पर उनकी इन तस्वीरों को देखकर लोग उनकी सादगी और संस्कृति के प्रति लगाव की प्रशंसा कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने मंच से ‘नवकार महामंत्र दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित किया। माना कि महामंत्र से जीवन में स्थिरता और शांति का संचार होता है। उन्होंने कहा कि ‘नवकार महामंत्र’ विनम्रता, शांति और सार्वभौमिक सद्भाव का प्रतीक है। इस कार्यक्रम में भाग लेकर मुझे खुशी हुई। ‘नवकार महामंत्र’ सिर्फ एक मंत्र नहीं है। यह हमारे विश्वास का केंद्र है और इसका महत्व केवल आध्यात्मिक नहीं है। यह हमारे जीवन का मूल स्वर है। नवकार महामंत्र सिर्फ मंत्र नहीं है। ये हमारी आस्था का केंद्र है। हमारे जीवन का मूल स्वर और इसका महत्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है। ये स्वयं से लेकर समाज तक, सबको राह दिखाता है, जन से जग तक की यात्रा है। इस मंत्र का प्रत्येक पद ही नहीं, बल्कि प्रत्येक अक्षर अपने आप में एक मंत्र है।
उन्होंने आगे कहा, “जब हम नवकार महामंत्र का जाप करते हैं, तो हम 108 दिव्य गुणों का नमन करते हैं और मानवता के हित को स्मरण करते हैं। यह मंत्र हमें याद दिलाता है कि ध्यान और कर्म ही जीवन की सच्ची दिशा हैं। गुरु ही प्रकाश हैं और वह मार्ग वही है, जो हमारे भीतर से निकलता है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने बेंगलुरु के एक पुराने अनुभव को साझा करते हुए कहा, “कुछ साल पहले बेंगलुरु में मैंने इस मंत्र के सामूहिक जाप का अनुभव किया था। आज फिर वही भाव मेरे भीतर जागा। मैं अब भी इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा को महसूस कर रहा हूं।”
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