पीएम मोदी के ‘विकसित भारत’ के संकल्प में पूर्वोत्तर राज्यों की भूमिका अहम : लोकसभा अध्यक्ष

By : madhukar dubey, Last Updated : September 27, 2024 | 3:43 pm

आइजोल, 27 सितंबर (आईएएनएस)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला(Lok Sabha Speaker Om Birla) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत'(‘Developed India’) के संकल्प में पूर्वोत्तर राज्यों की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र अब सीमांत नहीं बल्कि भारत के प्रवेश द्वार हैं।

मिजोरम की राजधानी आइजोल में सीपीए इंडिया क्षेत्र, जोन-3 के दो दिवसीय 21वें सम्मेलन का शुक्रवार को उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि ‘विकसित भारत’ के संकल्प की सिद्धि में पूर्वोत्तर राज्यों की भूमिका अहम है।

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के अथक प्रयासों से भारत विश्व में प्रमुख ताकत के रूप में उभरा है। दुनिया के अधिकतर देश भारत में निवेश कर रहे हैं और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में निवेश और विकास की संभावनाएं बढ़ रही हैं। आज नॉर्थ ईस्ट में आमूलचूल परिवर्तन आया है, विकास के नए द्वार खुले हैं। पीएम मोदी के ‘विकसित भारत’ के संकल्प को हम तभी पूरा कर पाएंगे जब विकास के मापदंडों पर हम पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत के बराबर ला पाएंगे। इस क्षेत्र में ‘फिजिकल, डिजिटल और सोशल कनेक्टिविटी’ बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है। भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के बारे में आज हमारी सोच बदल गई है। अब यह सीमांत क्षेत्र नहीं है बल्कि आज हमारा पहला क्षेत्र है, भारत के प्रवेश द्वार हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ने विधायी कामकाज में शुचिता पर जोर देते हुए कहा कि विधायी शुचिता और पारदर्शिता से हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद मिलेगी। यह लोकतंत्र में जनता की आशाओं, अपेक्षाओं, उनके विश्वास और भरोसे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। विधायिका का मुख्य कार्य विधि और नीति का निर्माण करना, शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता लाना तथा जनता की भावनाओं, उनकी अपेक्षाओं को केंद्र में रखकर सार्थक चर्चा और संवाद के माध्यम से लोक कल्याणकारी नीतियों एवं योजनाओं का निर्माण करना है ताकि हम अपने नागरिकों के जीवन में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन ला सकें।

उन्होंने चर्चा और संवाद पर जोर देते हुए कहा कि विधायिका के पीठासीन अधिकारी होने के नाते विधायिका की शुचिता बनाए रखने की हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। विधायिका के सदस्यों के आचरण और व्यवहार की शुद्धता से सदनों में शुचिता और पारदर्शिता आती है। हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि हम सदन के अंदर मर्यादा, शालीनता और गरिमा को मजबूत करते हुए लोकतंत्र को और सशक्त करें, इन सदनों के अंदर जनता की आशाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप चर्चा संवाद हो, विचार मंथन हो, हमारे सदनों में जनता की भावनाएं व्यक्त हों। लोकतंत्र तभी सशक्त होता है, जब सदन सहमति-असहमति के बावजूद सामूहिक रूप से, गरिमा और शालीनता से लोकहित के विषयों पर चर्चा और संवाद करते हैं तथा लोगों के जीवन में सामाजिक आर्थिक बदलाव के लिए निर्णय लेते हैं।

बिरला ने कहा कि बदलते परिप्रेक्ष्य में, ‘लोकतांत्रिक शुचिता, पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतंत्र से परिणाम’ विषय को लेकर सीपीए भारत क्षेत्र के जोन-3 की सभी विधानसभाएं इस उद्देश्य से सम्मेलन का आयोजन कर रही हैं ताकि वे अपनी-अपनी विधायिकाओं को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के साथ-साथ और अपनी-अपनी विधानसभाओं के बेस्ट प्रैक्टिसेज और अच्छे अनुभवों को आपस में साझा कर सकें। उन्होंने विधायिकाओं के कामकाज में टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके विधायी संस्थाओं को जन उन्मुखी बनाने, विधायी प्रक्रिया में जन भागीदारी को बढ़ाने और रिसर्च के साथ ही इनोवेशन को बढ़ाने पर भी जोर दिया।

शुभारंभ कार्यक्रम को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा, नागालैंड विधानसभा के अध्यक्ष एवं सीपीए इंडिया क्षेत्र, जोन-3 के अध्यक्ष शेरिंगेन लोंगकुमेर और मिजोरम विधानसभा के अध्यक्ष लालबियाकजामा ने भी संबोधित किया।