पीएम मोदी की इटली यात्रा से क्यों नाराज हुई कांग्रेस, क्या वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला बना पार्टी के लिए चिंता का विषय?

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  • Updated On - June 20, 2024 / 01:56 PM IST

नई दिल्ली (आईएएनएस)। जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi recent trip to Italy) की हालिया इटली यात्रा तीसरे कार्यकाल में उनकी पहली विदेश यात्रा और सात देशों के समूह के बैठक (जी-7) में जाने का उनका पांचवां कार्यक्रम था।

  • हालांकि, इटली में उनके गर्मजोशी से हुए स्वागत ने कई लोगों, विशेष रूप से इसने कांग्रेस पार्टी (Congress party) को परेशान कर दिया। क्योंकि कांग्रेस पीएम मोदी की इटली यात्रा के पीछे के उद्देश्य पर सवाल उठाती रही।

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की नाराजगी का कारण अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला (वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला) का ‘डर’ हो सकता है, जो उसे परेशान कर रहा है, खासकर ऐसे समय में जब वह लोकसभा चुनाव में पार्टी की सफलता का जश्न मना रही है।

  • बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी सवाल किया, ‘जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी की इटली यात्रा के बारे में कांग्रेस लगातार क्यों शिकायत कर रही थी’ और उन्होंने यह भी विवरण साझा किया कि सबसे पुरानी पार्टी को क्या ‘चिंतित और परेशान’ कर रहा है।

एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय दैनिक ने सूत्रों का हवाला देते हुए दावा किया कि इटली ने अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले पर अपनी अदालत के 225 पृष्ठों के विस्तृत फैसले और रिश्वत घोटाले से संबंधित कुछ दस्तावेजों को भारत के साथ साझा किया है। इससे साफ है कि ये दस्तावेज पूरे खेल को पलट सकते हैं और भारत में उच्च प्रोफाइल वाले राजनेताओं और बिचौलियों को उनके इस अपराध के लिए दंडित किया जा सकता है।

इसमें यह भी दावा किया गया कि पीएम मोदी की हाल की इटली यात्रा से लौटने के बाद इस वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले में जांच और अभियोजन गति पकड़ सकता है।

  • बता दें कि 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी जब पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने, उसके लगभग 8 महीने पहले, इटली की एक अदालत ने भारत से जुड़े सबसे बड़े रिश्वत घोटालों में एक हाई प्रोफाइल कंपनी के सीईओ, एक इतालवी रक्षा कंपनी के अध्यक्ष और दो बिचौलियों सहित चार लोगों को दोषी ठहराते हुए एक फैसला सुनाया था। लेकिन, इस मामले में वहां की अदालत में दर्ज अभियुक्तों के पूरे बयान, अपीलों का पूरा लेखा-जोखा और अदालत के अंतिम फैसले को 2013 में भारत के दबाव में तत्कालीन इतालवी सरकार द्वारा कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया था, क्योंकि इससे भारत के राजनीतिक और नौकरशाही प्रतिष्ठानों में भूचाल आ सकता था।

इन दस्तावेजों के जरिए जो खुलासा होता उससे भारत के प्रमुख राजनीतिक परिवार और बिचौलियों के पूरे नामों का खुलासा हो जाता, जिन्हें अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में 600 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत मिली थी। इस मामले में भारत में इसको लेकर रिश्वत प्राप्त करने वालों के नाम इतालवी अदालत के दस्तावेजों में सील कर दिए गए।

  • हेलिकॉप्टर घोटाला भले ही भारत में अंजाम तक नहीं पहुंचा हो, लेकिन इतालवी अदालत ने भारतीय समकक्षों को रिश्वत देने वालों को इस मामले में दोषी ठहराया है। अब बताया जा रहा है कि इटली के द्वारा भारत को सौंपे गए सीलबंद इतालवी दस्तावेजों में रक्षा घोटाले में रिश्वत पाने वालों के नाम भी हैं।

इससे यूपीए-2 के दौरान सत्ता में बैठे लोगों के लिए खतरे की घंटी बजना तय है और सबसे बड़े रक्षा घोटालों में से एक, जो एक दशक तक दबा रहा, वह अब बाहर आने के लिए तैयार नजर आ रहा है।

  • विशेष रूप से, अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला यूपीए-2 शासन का एक भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें बिचौलियों और शायद राजनेताओं को भी रिश्वत दी गई थी, क्योंकि भारत ने इतालवी रक्षा विनिर्माण दिग्गज फिनमैकेनिका द्वारा अनुमानित लागत पर 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर खरीदने का 3,600 करोड़ रुपये का सौदा किया था।