उत्कल दिवस को लेकर विधायक व समाज के कद्दावर नेता पुरंदर मिश्रा ने कहा-भाजपा ने समाज को राजनीतिक रूप से स्थापित किया

देश के उड़ीसा प्रान्त को 1 अप्रैल 1936 में पृथक राज्य के रूप में मान्यता मिली। तब आज के छत्तीसगढ़ का एक बड़ा भू- भाग उड़ीसा से पृथक हो गया

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  • Updated On - March 30, 2024 / 07:50 PM IST

रायपुर। देश के उड़ीसा प्रान्त को 1 अप्रैल 1936 में पृथक राज्य के रूप में मान्यता मिली। तब आज के छत्तीसगढ़ का एक बड़ा भू- भाग उड़ीसा से पृथक हो गया और ये उड़िया भाषी के लोग जिसमें विभिन्न जाती के लोगों का समावेश है। छत्तीसगढ़ में ही रह गए और आज की स्थिति में पूरे छत्तीसगढ़ में उड़िया समुदाय (Oriya community in Chhattisgarh) की बात करें तो इनकी कुल जनसंख्या 35 लाख से भी ज्यादा है,जो राज्य की सबसे बड़ी ओबीसी जाती साहू,जिसकी संख्या 30,05,661है से भी ज्यादा है।

  • इस तरह इन उत्कल वासियों की राजनीतिक महत्ता को भी स्थापित करने की जरूरत थी।हालांकि इसकी शुरुआत 90 के दशक से ही शुरू हो गई थी और छत्तीसगढ़ में पहली बार 1994 में 1 अप्रैल को उत्कल दिवस मनाया गया। तब पुरन्दर मिश्रा (Purandar Mishra) महज 30-32 साल के थे और इनकमटैक्स की प्रैक्टिस किया करते थे।यहीं से उन्होंने उड़िया समाज के लोगों को एक जुट करने का प्रयास किया।नतीजन आज वे उसी समाज का प्रतिनिधित्व करते प्रदेश की राजधानी उत्तर विधानसभा से विधायक हैं।

छत्तीसगढ़ की राजनीति में उड़िया समाज की ताकत

  • जब कोई समाज संगठित हो कर अपनी बातों को किसी मंच पर रखता है,तभी उसकी सुनवाई होती है।पुरन्दर मिश्रा इस बात को अच्छी तरह से भांप गए थे और बहुत पहले ही इस बड़ी आबादी को संगठित करने प्रदेश व्यापी दौरे कर उड़िया समाज के लोगों को एक मंच पर आने का आव्हान कर रहे थे।इस चुनाव में समाज को इस अभियान का जबरदस्त राजनीतिक लाभ भी मिला और पुरन्दर मिश्रा को भाजपा ने रायपुर उत्तर विधानसभा से प्रत्याशी घोषित कर दिया।इससे पूरे प्रदेश में यह संदेश चला गया की भाजपा उड़िया समाज को राजनीतिक रूप से महत्व दे रही है।नतीजन उड़िया मतदाताओं का वोट एक तरफा भाजपा को चला गया।रायपुर की चारों सीटों में इस बार भाजपा की ज्यादा अंतर से जीत का एक कारण यह भी था।रायपुर ही नहीं प्रदेश के कई सीटों में इसका व्यापक असर पड़ा।रायगढ़ सीट जहां से ओपी चौधरी चुनाव जीते वहां तो उड़िया समाज के मतदाताओं की संख्या ही 1 लाख 42 हजार है।इस तरह से उड़िया समाज ने इस बार अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास दिला ही दिया।

प्रदेश में उड़िया भाषी बहुल क्षेत्र-

वैसे तो छत्तीसगढ़ का कोई कोना नहीं जहां इस समाज के लोग निवासरत नहीं करते।बावजूद सबसे ज्यादा जिन क्षेत्रों में इनकी आबादी सबसे ज्यादा है उनमें रायपुर, रायगढ़,जगदलपुर,कांकेर,कोंडागांव, दंतेवाड़ा, सारंगढ़, सरायपाली, बसना,पिथौरा,खल्लारी, महासमुंद, गरियाबंद,भिलाई, दुर्ग के अलावा जशपुर, कुनकुरी,लैलूंगा, तनाखार,पुसौर,सरिया,बरमकेला, सरगुजा, बिलासपुर सहित अन्य क्षेत्र शामिल है।बता दें कि 35 लाख से भी ज्यादा उड़िया समाज के लोगों में आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों के साथ-साथ कमजोर तबके के लोगों का भरमार है और इस समाज के अंतर्गत 18 से भी ज्यादा विभिन्न जाती के लोग सम्मिलित हैं।

इस बार उत्कल दिवस कैसे मनाया जाएगा

1 अप्रैल 2024 वह वर्ष है जब उड़ीसा के स्थापना का 89 वां स्थापना दिवस होगा। रायपुर उत्तर के विधायक पुरंदर मिश्रा के नेतृत्व व मार्गदर्शन में संपन्न होने वाले इस कार्यक्रम में बड़े प्रभावशाली अतिथियों को बुलाया गया है। पुरंदर मिश्रा द्वारा गठित सर्व उड़िया समाज एवं उत्कल सांस्कृतिक परिषद के बैनर पर संपन्न होने वाले इस कार्यक्रम में राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन मुख्य अतिथि होंगे।

  • छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। इसके साथ ही कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ शासन के समस्त मंत्रीगण नेता प्रतिपक्ष, सांसद, रायपुर शहर के विधायक गण, नगर निगम रायपुर के महापौर सहित गणमान्य अतिथि उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण गवर्नमेंट स्कूल छोटापारा में होगा, जहां सांस्कृतिक दलों द्वारा उड़िया गीत, भजन, ओडिसी नृत्य, संबलपुरी नृत्य सहित कई प्रकार के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे इस अवसर पर समाज के प्रतिभाशाली व्यक्तियों का राज्यपाल के हाथों सम्मान भी किया जाएगा।उत्कल समाज के प्रवक्ता गुणनिधि मिश्रा ने यह जानकारी दी।