नितीश कुमार रेड्डी की कहानी: MCG में शानदार प्रदर्शन करने वाले ऑलराउंडर की अद्भुत पिता-पुत्र की यात्रा

नितीश के बचपन के कोच कुमार स्वामी, जो उन्हें छह साल की उम्र से जानते हैं, कहते हैं कि "हर कोई अपनी जिंदगी में हीरो बनना चाहता है, लेकिन नितीश की कहानी में असल हीरो मुत्याला रेड्डी हैं।

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  • Updated On - December 28, 2024 / 11:34 AM IST

विशाखापट्टनम: 21 साल के युवा ऑलराउंडर नितीश कुमार रेड्डी (Nitish Kumar Reddy) ने अपनी पहली ऑस्ट्रेलिया यात्रा में शानदार प्रदर्शन करते हुए बॉक्सिंग डे टेस्ट में भारत को मुश्किल से उबारा। नितीश का क्रिकेट करियर और जीवन कई मुश्किलों का सामना करने के बावजूद अपने पिता मुत्याला रेड्डी की अथक मेहनत और बलिदान की वजह से ही सफल हुआ।

नितीश की सफलता में मुत्याला रेड्डी का योगदान

नितीश के बचपन के कोच कुमार स्वामी, जो उन्हें छह साल की उम्र से जानते हैं, कहते हैं कि “हर कोई अपनी जिंदगी में हीरो बनना चाहता है, लेकिन नितीश की कहानी में असल हीरो मुत्याला रेड्डी हैं। उनका संघर्ष और मेहनत ही नितीश को सफलता की राह पर ले आई।”

नितीश के पिता मुत्याला रेड्डी ने अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए अपना रोजगार छोड़ दिया था। “मेरे पिता ने मेरे लिए अपना रोजगार छोड़ दिया था। उनके संघर्ष और बलिदान ने ही मुझे प्रेरित किया। एक दिन मैंने उन्हें आर्थ‍िक तंगी के कारण रोते हुए देखा, और तब मैंने ठान लिया कि अब मुझे गंभीर होकर क्रिकेट खेलना है।” नितीश ने कहा।

MCG में नितीश का शानदार प्रदर्शन

शनिवार को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) पर बॉक्सिंग डे टेस्ट के दौरान नितीश ने अपनी टीम को मुश्किलों से बाहर निकाला और शानदार अर्धशतक बनाया। यह प्रदर्शन उनकी मेहनत का परिणाम था, जिसने उन्हें और भी ज्यादा सराहा गया।

नितीश ने इस साल अक्टूबर में बांगलादेश के खिलाफ अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की थी और बाद में पर्थ में टेस्ट डेब्यू भी किया। उनके पिता मुत्याला रेड्डी ने कहा, “जब नितीश ने मुझे बताया कि वह भारत के लिए टेस्ट मैच खेलने जा रहे हैं, तो मुझे विश्वास नहीं हुआ। मुझे विश्वास करने में लगभग दस मिनट लग गए।”

SRH के साथ नितीश की वफादारी

नितीश अब सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) का हिस्सा हैं। हालांकि, उनकी बढ़ती लोकप्रियता के बीच कई अन्य फ्रेंचाइजी ने उन्हें भारी रकम का ऑफर दिया। मुत्याला रेड्डी ने बताया, “कई फ्रेंचाइजी ने नितीश को SRH से बाहर निकालने के लिए 15 करोड़ से ऊपर के ऑफर दिए, लेकिन नितीश ने उन्हें ठुकरा दिया।” नितीश ने उनसे कहा, “मैंने SRH के लिए अपना नाम कमाया है। अगर मैं दूसरी फ्रेंचाइजी के लिए जाता हूं, तो मुझे फिर से खुद को साबित करना पड़ेगा, लेकिन SRH के साथ मुझे लगातार समर्थन मिलेगा, भले ही कुछ खराब पारियां हो।”

प्रारंभिक संघर्ष और मेहनत

नितीश का क्रिकेट में करियर शुरू हुआ जब वह छोटे थे। “नितीश स्कूल से वापस आकर रोज़ Zinc ग्राउंड में मैच देखने जाता था और फिर प्रैक्टिस करने जाता था, चाहे गर्मी कितनी भी हो। मुझे तब ही उसकी मेहनत का अहसास हुआ,” स्वामी ने बताया।

स्वामी की प्रेरणा

2013 में, नितीश को जिला टीम में खेलने का मौका मिला, लेकिन उसकी प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव थे। स्वामी ने मुत्याला रेड्डी को भरोसा दिलाया और नितीश को प्रैक्टिस के लिए और बेहतर सुविधाओं की ओर मोड़ा। स्वामी ने कहा, “नितीश को जिला टीम में खेलने के लिए और बेहतर पिचों की जरूरत थी, इसलिए मुत्याला रेड्डी ने उसे ज़िंक से लेकर विशाखापत्तनम के म्यूनिसिपल स्टेडियम और पोटिनमल्लया पलम तक भेजा, ताकि वह बेहतर गेंदबाजों का सामना कर सके।”

सफलता की शुरुआत: 99, 140 और इंटरनेशनल चयन

नितीश ने अपने पहले ही मौके पर शानदार प्रदर्शन किया। 13 साल की उम्र में उसे राज्य U14 टीम में चुना गया। इसके बाद, नितीश ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी में 1237 रन बनाए और यह उसके करियर की एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

आहार और फिटनेस में बदलाव

नितीश के शरीर की फिटनेस में एक महत्वपूर्ण बदलाव तब आया जब उन्हें जिम्बाब्वे टूर से पहले चोट लगी और उन्होंने फिटनेस पर अधिक ध्यान दिया। “वह पहले बहुत अच्छा खाना पसंद करते थे, लेकिन अब उन्होंने अपना आहार ठीक किया है। एक दिन वह 200 ग्राम चिकन खाते हैं तो अगले दिन 500 ग्राम झींगा,” मुत्याला रेड्डी ने बताया।

नितीश का सफर:

आज, नितीश कुमार रेड्डी ने सिर्फ भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनाई है, बल्कि वह एक आदर्श खिलाड़ी बन गए हैं। उनके पिता मुत्याला रेड्डी और उनके कोच स्वामी ने हमेशा उनका समर्थन किया और नितीश ने भी अपनी मेहनत और समर्पण से उस विश्वास को सही साबित किया है।