गंभीर बार बार यह बात कह चुके हैं कि टीम को अभी में जीकर आगे बढ़ना चाहिए और किसी भी संभावना को हल्के में नहीं लेना चाहिए। लेकिन बीसीसीआई की इस सोच का पूर्व चयनकर्ता देवांग गांधी ने कड़ा विरोध किया है।
गांधी का कहना है कि 2027 वर्ल्ड कप की तैयारी कोहली और रोहित के इर्दगिर्द ही शुरू होनी चाहिए। भारत 2011 के बाद से यह खिताब नहीं जीत सका है और 2023 के फाइनल के दर्द को देखते हुए टीम को किसी भी तरह की अनिश्चित योजना से बचना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर टीम प्रबंधन ने बार बार बदलाव किए या खिलाड़ियों को स्थिर भूमिका नहीं दी तो इसका असर बेहद गंभीर हो सकता है।
गांधी ने 2019 वर्ल्ड कप की याद दिलाते हुए कहा कि तब नंबर चार पर किसी एक खिलाड़ी को लगातार मौके नहीं मिले थे और सेमीफाइनल में टॉप ऑर्डर के फेल होने पर टीम संभल नहीं सकी। यही गलती 2023 में भी दोहराई गई जब सूर्यकुमार यादव को मजबूरी में खिलाया गया जबकि उनका ODI रिकॉर्ड मजबूत नहीं था।
उन्होंने सवाल उठाया कि भारत के मध्य क्रम और निचले क्रम में अभी भी स्थिरता क्यों नहीं है। रोहित कोहली और कुछ हद तक केएल राहुल और शुभमन गिल के अलावा किसी बल्लेबाज ने अपनी जगह पक्की नहीं की है। रुतुराज गायकवाड़ और यशस्वी जायसवाल ने भले ही पिछले हफ्ते अपनी पहली ODI सेंचुरी बनाई हो लेकिन वे अब भी निश्चित स्टार्टर नहीं हैं। रिषभ पंत प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और श्रेयस अय्यर चोट के कारण बाहर हैं।
गांधी का मानना है कि टीम को अब 20 खिलाड़ियों का एक स्थिर ग्रुप बनाकर उसी पर काम करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो अगले वर्ल्ड कप में नतीजे बेहद खराब हो सकते हैं।
भारतीय क्रिकेट में अगली रोडमैप को लेकर यह बड़ा संकेत है कि अनुभव बनाम युवा रणनीति पर आने वाले महीनों में बड़ी बहस चलने वाली है।
