शेफाली वर्मा की वापसी की कहानी: रिजेक्ट से वर्ल्ड कप फाइनल की हीरो बनने तक
By : dineshakula, Last Updated : November 3, 2025 | 12:28 am
By : dineshakula, Last Updated : November 3, 2025 | 12:28 am
मुंबई: भारतीय क्रिकेटर शेफाली वर्मा (Shafali Verma) ने जो कहानी लिखी है, वह किसी फिल्म से कम नहीं. कभी टीम से बाहर कर दी गई यह खिलाड़ी आज भारत की पहली महिला वर्ल्ड कप जीत की सबसे बड़ी हीरो बन गई. 21 साल की उम्र में शेफाली ने वर्ल्ड कप फाइनल में 87 रनों की तूफानी पारी खेलकर टीम इंडिया को जीत की नींव दी और फिर गेंद से भी कमाल दिखाया.
शेफाली का सफर भारतीय क्रिकेट के तेज़ और प्रतिस्पर्धी माहौल में meteoric रहा है. उन्होंने 15 साल की उम्र में भारत की टी20 टीम से डेब्यू किया था और सबसे कम उम्र की भारतीय अंतरराष्ट्रीय अर्धशतक बनाने वाली खिलाड़ी बनीं. साल 2020 तक वे आईसीसी टी20 रैंकिंग में नंबर-1 बल्लेबाज बन चुकी थीं. लेकिन 2024-25 में उनका फॉर्म गिरने लगा और चयनकर्ताओं ने स्थिरता के नाम पर उन्हें वनडे वर्ल्ड कप टीम से बाहर कर दिया. उस समय चयन समिति की प्रमुख नीता डेविड ने साफ कहा था कि टीम को निरंतरता चाहिए. स्मृति मंधाना के साथ प्रतिभाशाली प्रतिभा रावल को ओपनर के तौर पर चुना गया.
भारत के लिए सबकुछ ठीक चल रहा था, जब तक कि प्रतिभा रावल को बांग्लादेश के खिलाफ लीग मैच में टखने की चोट नहीं लगी. रावल के बाहर होने के बाद अचानक टीम इंडिया को नए ओपनर की जरूरत पड़ी, और फिर एक बार फिर सबकी नजर शेफाली वर्मा पर गई.
सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शेफाली की वापसी हुई. उन्होंने कुछ अच्छे शॉट्स खेले लेकिन बड़ी पारी नहीं खेल सकीं. इसके बाद भी टीम मैनेजमेंट ने उन पर भरोसा जताया, और फाइनल में उन्हें एक और मौका दिया — और इस बार शेफाली ने इतिहास रच दिया. उन्होंने 78 गेंदों में 87 रन बनाकर भारत की पारी को मजबूत शुरुआत दी.
केवल बल्ले से नहीं, शेफाली ने गेंद से भी खेल पलट दिया. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की सून लूस और मारीज़ान कैप के अहम विकेट चटकाकर मैच की दिशा भारत की ओर मोड़ दी. उनके तीन ओवर के स्पेल में सिर्फ आठ रन दिए और दो महत्वपूर्ण विकेट लिए.
फाइनल में शेफाली की यह परफॉर्मेंस जैसे क्रिकेट के भगवान ने उन्हें उनका हक लौटा दिया. कभी रिजेक्ट की गई खिलाड़ी अब वर्ल्ड कप की विजेता बनी — और भारत की ऐतिहासिक जीत की मुख्य आधार भी.