नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। वीनू मांकड (Vinoo Mankad) और कपिल देव के बाद एक लंबे अरसे से टीम इंडिया को एक परफेक्ट ऑलराउंडर की तलाश है। काफी हद तक ये कमी हार्दिक पांड्या ने दूर की, लेकिन उनकी फिटनेस टीम के लिए हमेशा परेशानी का सबब रही है। मगर, क्या आपको पता है कि टीम इंडिया का सबसे पहला और बेस्ट ऑलराउंडर कौन है? साथ ही क्या आप यह जानते हैं कि सबसे पहला ‘मांकडिंग’ किसने किया था? इन सभी सवालों का जवाब आपको यहां मिल जाएगा।
वीनू हिम्मतलाल मांकड। यह नाम भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। 21 अगस्त को इस दिग्गज क्रिकेटर की पुण्यतिथि है। उनका निधन 61 साल की उम्र में 21 अगस्त 1978 को हुआ था। बतौर ऑलराउंडर टीम इंडिया के साथ जुड़ने वाले वीनू ने इंग्लैंड के खिलाफ 22 जून 1946 को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था।
एक तरफ वह बल्ले से विरोधी गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते थे, तो गेंद से भी धाकड़ बल्लेबाजों को छकाने का माद्दा रखते थे। इनका नाम विश्व के श्रेष्ठ ऑलराउंडरों में गिना जाता है। साथ ही, वीनू मांकड उन चंद नामों में शामिल हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में पहले से लेकर 11वें नंबर तक बल्लेबाजी की थी। बचपन से ही क्रिकेट के शौकीन वीनू आईसीसी के ‘हॉल ऑफ फेम’ में जगह पाने वाले 7वें भारतीय खिलाड़ी हैं।
1952 में भारत ने जब पहली बार टेस्ट जीता तो उस मैच के नायक वीनू मांकड ही थे। उन्होंने मैच में कुल 12 विकेट लिए थे। इसके बाद सन 1956 में पंकज राय के साथ मिलकर वीनू ने 413 रन की ओपनिंग साझेदारी की थी। यह रिकॉर्ड 52 साल बाद टूटा।
वीनू ने इस साझेदारी के दौरान अपने करियर का पहला दोहरा शतक (231) लगाया था। वह भारतीय टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए थे। इस रिकॉर्ड को 27 साल बाद 1983 में सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 236 रन बनाकर तोड़ा। वैसे तो वीनू मांकड के नाम और भी कई रिकॉर्ड हैं लेकिन सबसे दिलचस्प किस्सा ‘मांकडिंग’ से जुड़ा है।
वीनू मांकड और ‘मांकडिंग’ के बीच एक बड़ा कनेक्शन है। क्रिकेट इतिहास में वीनू ने ही इसकी शुरुआत की थी। इसलिए ‘मांकडिंग शब्द भी उनके नाम से ही बना था। ये किस्सा तब का है, जब मांकड का अंदाज-ए-आउट बाद में आईसीसी के नियम के रूप में तब्दील हो गया।
दिसंबर 1947 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई टीम इंडिया का यह किस्सा बहुत मशहूर है। हुआ यूं कि ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सिडनी टेस्ट में भारतीय गेंदबाज वीनू मांकड ने विपक्षी बल्लेबाज को कुछ ऐसे आउट किया कि सब दंग रह गए। यह पहला ऐसा मौका था जब कोई बल्लेबाज इस तरह से आउट हुआ था। तब मांकड गेंदबाजी कर रहे थे और कंगारू बल्लेबाज बिल ब्राउन गेंद डाले जाने के पूर्व ही रन लेने की जल्दबाजी में क्रीज छोड़ चुके थे। मांकड ने बल्लेबाज की इस गलती का फायदा उठाते हुए गेंद फेंके बिना नॉन स्ट्राइकिंग छोर की गिल्लियां बिखेर दीं।
मांकड ने गिल्ली उड़ाते ही रन आउट की अपील की और अंपायर ने उंगली उठा दी। हालांकि मांकड द्वारा किए गए इस आउट को ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने खेल भावना के विरुद्ध बताते हुए वीनू की खूब आलोचना की थी। लेकिन दिग्गज बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन समेत कुछ विपक्षी खिलाड़ियों ने मांकड का बचाव किया था। बाद में आउट करने का यह तरीका क्रिकेट के नियमों में शामिल हो गया और इसका नाम ‘मांकड आउट’ पड़ गया। क्रिकेट नियमों की धारा 42.15 के अंतर्गत आउट करने के इस तरीके को वैधानिक कर दिया गया। मॉडर्न क्रिकेट में इस नियम को ‘मांकडिंग’ कहा जाता है।
वीनू मांकड ने भारत के लिए 44 टेस्ट मैचों में 31.47 की औसत से 2,109 रन बनाए थे। इस दौरान उनके बल्ले से 5 शतक (2 दोहरे शतक शामिल) और 6 अर्धशतक निकले। साथ ही, उन्होंने गेंद से भी असाधारण प्रदर्शन करते हुए 162 विकेट चटकाए थे। इसके अतिरिक्त इन्होंने 233 प्रथम श्रेणी मैचों में 34.70 की औसत से 26 शतक और 52 अर्धशतक सहित 11,591 रन और गेंदबाजी में 24.53 के शानदार औसत से 782 विकेट भी लिए थे।