महज चित्रकारी के खाके में इन्हें फिट करना उचित नहीं होगा। ये ऐसे रचनाकार थे जो रंग कैनवास पर, लकड़ियों पर, दीवारों पर भरते भी थे और भावों को अभिव्यक्त करने के लिए मूर्तिकला और साहित्य रचते भी थे।