ओलापरीब एक कीमोथेरेपी दवा है। इसका उपयोग अंडाशय, स्तन, पैंक्रियाज और प्रोस्टेट के कुछ प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल सेंटर में शोधकर्ताओं ने दावा किया कि उन्होंने कैंसर के उपचार के लिए एक दवा विकसित की है, जिसकी कीमत मात्र 100 रुपये है।
हालांकि शारीरिक गतिविधि विभिन्न प्रकार के दर्द को कम करती है, लेकिन कैंसर से संबंधित दर्द पर इसका प्रभाव स्पष्ट नहीं है।
शोध से मिली जानकारी रोग की स्थितियों के तहत इन रिसेप्टर्स को नियंत्रित करने के लिए नई दवाओं जैसे अणुओं को डिजाइन करने की संभावना खोलती है।
आईआईटी मद्रास और आईआईटी मंडी ने एक खास पौधे की कोशिकाओं को मेटाबॉलिक रूप से इंजीनियर किया है। इस पौधे की कोशिका कैंसर (Cancer) के उपचार में विशेष सहायक है।
एक नई नॉन-इनवेसिव थेरेपी से भारत में प्राथमिक लीवर कैंसर (Cancer) के सबसे आम प्रकार हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (एचसीसी) के रोगियों को लाभ हो सकता है।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के एचओडी प्रोफेसर आनंद मिश्रा ने ग्लोबोकैन 2020 अध्ययन का हवाला देते हुए यह जानकारी दी।
यह निष्कर्ष एक हैरान करने वाला विरोधाभास पेश करता है, क्योंकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, तंबाकू का उपयोग दुनियाभर में कैंसर से संबंधित सभी मौतों में से एक चौथाई के लिए जिम्मेदार है और फेफड़ों के कैंसर का प्राथमिक कारण बना हुआ है।
चार्ल्स पर्किन्स सेंटर के मुख्य लेखक प्रोफेसर इमैनुएल स्टैमाटाकिस ने कहा, "जोरदार शारीरिक गतिविधि कुछ हद तक आपके रोजमर्रा के जीवन में हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग के सिद्धांतों को लागू करने जैसा है।"
क्रायोब्लेशन 'प्रोसेंस' वर्तमान में भारत भर के चार अस्पतालों में स्थापित है और इलाज में आसानी और बेहतर दर्द प्रबंधन के साथ हजारों कैंसर रोगियों के साथ 'अत्यधिक उत्साहजनक' परिणाम दिए हैं।