नासा ने कहा कि यह व्हीकल चंद्रमा पर एजेंसी के आर्टेमिस कैंपेन और मंगल ग्रह पर ह्यूमन मिशन की तैयारी के दौरान साइंटिफिक रिसर्च करने में मदद करेगा।
नासा के अनुसार ओडीसियस नाम का बिना चालक दल वाला लैंडर गुरुवार शाम 6:23 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा।
ऑप्टिकल संचार को पृथ्वी की निचली कक्षा और चंद्रमा की कक्षा के बीच प्रदर्शित किया गया है। डीएसओसी गहरे अंतरिक्ष में पहला परीक्षण है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार, सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु (एल1) के लिए निर्धारित आदित्य-एल1 ने एक सेल्फी ली है और साथ ही पृथ्वी और चंद्रमा की तस्वीरें भी ली हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के इसरो कमांड सेंटर में वैज्ञानिकों की सभा को संबोधित करते हुए ये घोषणाएं कीं।
दिलचस्प बात यह है कि वे बुधवार शाम को देश के चंद्रमा लैंडर की सुरक्षित लैंडिंग को लेकर इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने मंगलवार को ही धन्यवाद पूजा का फैसला किया था।
भारतीय-अमेरिकी कमला हैरिस ने गुरुवार को एक्स पर लिखा, "चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर चंद्रयान -3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के लिए भारत (India) को बधाई।"
आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान - सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला - श्रीहरिकोटा में भारत के रॉकेट पोर्ट पर है और प्रक्षेपण के लिए तैयार हो रही है।
न केवल भारत का चंद्रमा लैंडर (India's Moon Lander) अब चंद्रमा पर है, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों (Indian Space Agency
इस अवसर पर पीएम मोदी ने भारतीय वैज्ञानिकों के सामर्थ्य पर खुशी जताते हुए इसे भारत के लिए ऐतिहासिक और समृद्ध कदम बताया।