छिंदवाड़ा में ‘नाथ’ परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर
By : hashtagu, Last Updated : March 18, 2024 | 2:13 pm
राज्य में छिंदवाड़ा वह संसदीय सीट है, जहां आजादी के बाद से सिर्फ एक चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। वर्ष 1980 के बाद से इस संसदीय क्षेत्र पर एक अवसर को छोड़कर कमलनाथ और उनके परिवार के सदस्य निर्वाचित होते आए हैं। कमलनाथ को 1997 के उपचुनाव में भाजपा के सुंदरलाल पटवा के हाथों हार का करना पड़ा था।
राज्य में चार चरणों में चुनाव होने वाले हैं। पहले चरण में 19 अप्रैल, दूसरे चरण में 26 अप्रैल, तीसरे चरण में 7 मई और चौथे चरण में 13 मई को वोट पड़ेंगे। छिंदवाड़ा में पहले चरण में 19 अप्रैल को ही वोट डाले जाने हैं। चुनाव के लिए एक माह का समय बचा है और दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल प्रचार अभियान में जुट गए हैं।
कांग्रेस ने नकुलनाथ को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है । वे 2019 का लोकसभा चुनाव लड़े थे और उन्हें जीत हासिल हुई थी। वहीं भाजपा ने उनके मुकाबले विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा है। उम्मीदवारी घोषित होने के बाद से ही दोनों ही दलों के उम्मीदवार और कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव पर गौर करें तो राज्य की 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी और सिर्फ छिंदवाड़ा ही कांग्रेस के खाते में आई थी। इस बार भाजपा का छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र पर खास जोर है और उसने नाथ परिवार को घेरने की रणनीति पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है।
छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र पर कमलनाथ और उनके परिवार का कितना प्रभाव है, इसकी बानगी हाल ही में हुए राज्य के विधानसभा चुनाव में दिख चुकी है। चुनाव में जहां कांग्रेस को राज्य में करारी हार का सामना करना पड़ा, तो वहीं छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र की सभी सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली।
भाजपा ने भी अपनी रणनीति के मुताबिक नकुलनाथ के मुकाबले क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा है। हालांकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में विवेक को हार का सामना करना पड़ा था।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि इस बार राज्य की सभी 29 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिलेगी और 400 पार के लक्ष्य को हासिल करने में पार्टी सफल होगी।
वहीं दूसरी ओर कमलनाथ के अलावा उम्मीदवार नकुलनाथ और उनके परिवार के अन्य सदस्य भी सक्रिय हो गए हैं। कमलनाथ लगातार छिंदवाड़ा और अपने रिश्तों का हवाला दे रहे हैं। वे लोगों से भावनात्मक अपील कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छिंदवाड़ा का चुनाव रोचक होने वाला है। कमलनाथ के कई साथी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं। कमलनाथ की टीम को कमजोर करने की भाजपा की कोशिश काफी हद तक सफल हुई है। इसके बावजूद कमलनाथ का छिंदवाड़ा में अपना प्रभाव है और उसे भेदना बहुत आसान भी नहीं है।