रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh assembly elections) में इस बार पिछली बार की अपेक्षा एक प्रतिशत कम मतदान हुआ है। अगर इस तस्वीर पर नजर डाला जाए तो पता चलता है कि कुछ ऐसी भी दिग्गजों की सीटें हैं, जहां वोटिंग प्रतिशत कम (Voting trend)हुआ है, या तो कहीं कहीं बढ़ा भी। इस लिहाज से यह तय करना अभी मुमकिन नहीं है कि ये संकेत क्या नतीजे लाएंगे। माना जा रहा है कि कहीं, ज्यादा तो कहीं कम इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि न्यूट्रल रिजल्ट या तो किसी बदलाव की संभावना पर है। इस बार कई बड़े भी दिग्गज भी अपना गढ़ खो सकते हैं। यहां एक कोशिश है कि वोट के प्रतिशत के आधार पर कुछ अनुमान लगाया जा सके।
पाटन से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और भाजपा से विजय बघेल आमने-सामने हैं। 2008 में विजय बघेल ने भूपेश बघेल को हराया था। 2023 में वोटिंग करीब एक फीसदी बढ़ी है। देखना होगा कि इसका क्या असर पड़ता है।
इस सीट से वर्तमान मंत्री ताम्रध्वज साहू और भाजपा से ललित चंद्राकर आमने-सामने हैं। यहां हर चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है। लेकिन पार्टियों ने लगातार चेहरे बदले, इसका नतीजों पर असर पड़ा।
पश्चिम में 2013 में 5 प्रतिशत बढ़ा और भाजपा जीती। 2018 में वोटिंग प्रतिशत 4 फीसदी घट गया और राजेश मूणत हार गए। यानी इस सीट पर वोटिंग घटने से विधायक को खतरा होता है। 2023 में 5% वोटिंग घटी है।
पूर्व सीएम रमन िसंह और कांग्रेस से िगरीश देवांगन आमने-सामने हैं। ें पिछले तीन चुनाव में वोटिंग प्रतिशत कम-ज्यादा होता रहा है लेकिन रमन सिंह ही जीतते रहे हैं। यहां हर समीकरण फेल रहा है।
अंबिकापुर सीट पर मंत्री टीएस सिंहदेव के सामने भाजपा के राजेश अग्रवाल हैं। लगातार तीन बार से सिंहदेव विधायक हैं। इस बार वोटिंग चार फीसदी कम है। देखना होगा इस रुझान के क्या संकेत हैं।
भिलाई नगर में जब भी वोट प्रतिशत बढ़ा है, तब बदलाव हुआ है। इस बार प्रेमप्रकाश पांडे और विधायक देवेंद्र यादव आमने सामने है, वोटिंग बढ़ने के बजाए घटी है।
कवर्धा से मंत्री मोहम्मद अकबर और भाजपा से विजय शर्मा आमने-सामने हैं। 2018 में वोटिंग में बहुत अधिक अंतर नहीं आया था लेकिन अकबर जीते थे। इस बार सीट में वोटिंग करीब एक फीसदी घटी है।
बिलासपुर में 2013 की तुलना में 2018 में वोटिंग प्रतिशत करीब एक फीसदी तक बढ़ गया। माना जाता है कि वोटिंग बढ़ना सीटिंग एमएलए के लिए शुभ संकेत होता है, लेकिन यहां वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के बावजूद मंत्री अमर अग्रवाल हार गए।
साजा सीट से मंत्री रविंद्र चौबे और भाजपा से ईश्वर साहू आमने-सामने हैं। यहां चौबे लगातार जीतते रहे हैं। लेकिन 2013 में लाभचंद ने चौबे को हराया। इस बार वोटिंग एक फीसदी बढ़ने का क्या असर होता है, इसका इंतजार रहेगा।
रायपुर दक्षिण में दो चुनाव में वोटिंग परसेंटेज लगातार घटा है। 2013 में वोटिंग प्रतिशत 66.92 था। यह 2018 में 61.73 फीसदी रह गया। इस साल हुए मतदान में वोटिंग प्रतिशत करीब दो फीसदी और गिरा है।
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