सुप्रीम कोर्ट में 23 जुलाई को होगी ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई

उच्चतम न्यायालय मंगलवार को वाराणसी के ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi case of Varanasi) की अगली सुनवाई करेगा। मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय

  • Written By:
  • Updated On - July 21, 2024 / 03:14 PM IST

वाराणसी, 21 जुलाई (आईएएनएस)। उच्चतम न्यायालय मंगलवार को वाराणसी के ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi case of Varanasi) की अगली सुनवाई करेगा। मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय (Supreme court) के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ करेगी, जिसमें दो अन्य पदेन न्यायाधीश जस्टिस जेबी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र भी होंगे।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय व्यास जी के तहखाने में पूजा के खिलाफ मस्जिद पक्ष की याचिका पर ट्रायल कोर्ट के याचिकाकर्ता शैलेंद्र व्यास को नोटिस जारी कर चुका है।

यह सुनवाई वाराणसी की जिला अदालत द्वारा व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना करने की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर अंजुमन इंतजामिया कमेटी की याचिका पर होगी। वाराणसी की जिला अदालत ने शैलेंद्र व्यास की याचिका पर सुनवाई करते हुए व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी थी। जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ऐतराज के बावजूद बरकरार रखा था।

वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित ज्ञानवापी परिसर के व्यास जी के तहखाने में देवी-देवताओं की सेवा और पूजा-अर्चना की मांग को लेकर शैलेंद्र व्यास ने जिला अदालत वाराणसी में याचिका दायर की थी। जिसके बाद शैलेंद्र व्यास की याचिका पर वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय ने व्यास जी के तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी थी।

इस फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें जिला अदालत के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले पर रोक से इनकार कर दिया। जिसके बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट कई तारीखों पर इस मामले की सुनवाई कर चुका है।

इससे पहले मामले की पिछली सुनवाई में मस्जिद पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने उच्चतम न्यायालय को मस्जिद में जाने के रास्ते के बारे में बताया था।

हुजैफा अहमदी ने न्यायालय को बताया कि हम लगातार मस्जिद का हिस्सा खोते जा रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने ही वजूखाना क्षेत्र को संरक्षित किया‌ है। मस्जिद की जगह पर लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है। जैसे सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई कोर्ट के आगे जाकर नीचे कई कैंटीन हैं, इस पर यह कहा जाए कि वह कैंटीन सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा नहीं है, वैसा ही इस मामले में भी हुआ है।

यह भी पढ़ें : रामदेव अपनी पहचान बता सकता है तो रहमान को दिक्कत क्यों? : बाबा रामदेव