बांग्लादेश के दिनाजपुर में उन्मादियों ने संथाल क्रांति के नायक सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा ध्वस्त की, दहशत में संथाल बस्तियों के लोग
By : hashtagu, Last Updated : August 14, 2024 | 4:03 pm
सिद्धो-कान्हू को संथाल समुदाय के लोग देवता की तरह पूजते हैं। उनकी प्रतिमा ध्वस्त किए जाने की खबर पर बांग्लादेश के साथ-साथ झारखंड के संथाल आदिवासी आहत हैं।
बांग्लादेश के ग्रेटर सिलहट और उत्तर बंगाल राजशाही, दिनाजपुर, रंगपुर, गैबांधा, नोआगांव, बागुरा, सिराजगंज, चपैनवाबगंज, नटोर, दिनाजपुर आदि जगहों पर संथाल आदिवासियों की अच्छी-खासी आबादी है। ये लोग बांग्लादेश में हिंसा और उन्माद की घटनाओं से बुरी तरह डरे हुए हैं। वहां की कई संथाल बस्तियों के लोग उन्मादियों और दंगाइयों के खौफ से तीर-धनुष लेकर पहरा दे रहे हैं।
दरअसल, अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1855 में हुई संथाल क्रांति के बाद संथाल समाज के कई लोग बांग्लाभाषी इलाकों में जाकर बस गए थे। 19वीं सदी के उत्तरार्ध में जब ब्रिटिश शासन के दौरान रेलवे ट्रैक का निर्माण चल रहा था, तब भी यहां से संथाली समुदाय के लोग मजदूरी के लिए ले जाए गए थे। वहां संथालों के अलावा उरांव, मुंडा, महतो, महली जाति के लोग भी रहते हैं। इनकी गिनती बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों में होती है।
झारखंड के संथाल परगना निवासी वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सोरेन बताते हैं कि बांग्लादेश में रह रहे संथाली परिवार के कुछ लोगों से उनकी बात हुई है। वे लोग बांग्लादेशी मुसलमानों के आक्रामक रुख से सहमे हुए हैं। हिंसा की हालिया घटनाओं से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हुई है।
इस बीच झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी दिनाजपुर में संथाल विद्रोह के नायकों वीर सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा को खंडित किए जाने पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेशी मुसलमान संथाल आदिवासियों की हर पहचान को सोची समझी साजिश के तहत क्रमबद्ध तरीके से मिटा रहे हैं। चाहे झारखंड हो या बांग्लादेश, संथाल आदिवासी दोनों जगह बांग्लादेशी मुसलमानों के आतंक से त्रस्त हैं।