रायपुर। (Chhattisgarh Film City) नवंबर 2024 में छत्तीसगढ़ की साय सरकार की ओर से एक जानकारी दी गई। जिसमें बताया गया कि केंद्र सरकार ने लगभग 148 करोड़ रुपए की राशि पर्यटन के लिए स्वीकृत की है. जिसमें से 95.79 करोड़ रुपए की लागत (Cost of Rs 95.79 crore) से रायपुर के माना तूता में चित्रोत्पला फिल्म सिटी का निर्माण किया जाना है. 51.57 करोड़ रुपए की लागत से जनजाति और सांस्कृतिक कन्वेंशन सेंटर का निर्माण होगा। सरकार ने दावा किया कि फिल्म सिटी और कन्वेंशन सेंटर बनने से छत्तीसगढ़ के साथ साथ बाहर के फिल्म निर्माता, निर्देशकों और कलाकारों को इसका फायदा मिलेगा। इस फिल्म सिटी में प्री प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन भी होगा।
लेकिन वर्तमान की बात की जाए तो आज फिल्म सिटी की क्या स्थिति है, कहां निर्माण होना है, कितने एकड़ में बनाया जाना है, उसके लिए क्या व्यवस्था की गई है, किन-किन चीजों का निर्माण होगा, कौन-कौन सी सुविधाएं मौजूद होगी, यह कब तक पूरा किया जा सकेगा, इसका कितना फायदा फिल्म जगत से जुड़े लोगों को होगा, सरकार को इससे कितना लाभ मिलेगा, इन सारे सवालों का जवाब मिलता नजर नहीं आ रहा है।
छत्तीसगढ़ निर्माण से शुरू हुई फिल्म सिटी की चर्चा: छत्तीसगढ़ फिल्म विकास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष परेश बागबाहरा ने बताया कि प्रदेश में फिल्म सिटी निर्माण की चर्चा साल 2000 में छत्तीसगढ़ निर्माण के साथ ही शुरू हो गई. उस दौरान छत्तीसगढ़ फिल्म निर्माण और विकास समिति बनाई गई जिसके वे खुद अध्यक्ष थे. उस दौरान नया रायपुर में एक जगह चिन्हित की गई. उसी जगह पर आज तक फिल्म सिटी के निर्माण को लेकर चर्चा होती रहती है. फिल्म सिटी निर्माण के लिए हैदराबाद, मुंबई सहित कई जगहों पर फिल्म सिटी के लिए जानकारी ली गई. इस पर काफी काम हुआ. परेश बागबाहरा बताते हैं कि हर सरकार में फिल्म सिटी निर्माण के लिए प्रयास तो होता है लेकिन किसी वजह से वह प्राथमिक्ता में नहीं आ पाता और काम रुक जाता है।
छत्तीसगढ़ फिल्मों में सब्सिडी देने की मांग: परेश बागबाहरा ने छत्तीसगढ़ी फिल्म को बढ़ावा देने के लिए एक सुझाव भी दिया. उन्होंने कहा कि सरकार को फिल्म सिटी के साथ-साथ फिल्मों के निर्माण के लिए सब्सिडी भी देनी चाहिए. टैक्स को कम करना चाहिए. क्योंकि फिल्म निर्माण के दौरान कई तरह की आर्थिक कठिनाई आती है, काफी पैसा खर्च होता है, लेकिन इसका रिटर्न कुछ नहीं आता है।
“पीपीपी मोड पर बनाए जाए चौपाल सिनेमा”: परेश बागबहरा ने कहा कि थिएटर ना होने की वजह से फिल्मों के निर्माण की लागत भी नहीं मिल पाती है. जिस वजह से फिल्म निर्माता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस परेशानी से निजात दिलाने परेश बागबहरा ने सरकार से मांग की है कि 5000 की आबादी से ज्यादा वाली जगह पर चौपाल सिनेमा बनाया जाए. इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में बनाया जा सकता है. इसके लिए सरकार को फ्री में जमीन देनी चाहिए. यदि सरकार इसका निर्माण करती है तो उससे छत्तीसगढ़ी फिल्म को काफी मदद मिलेगी और फिल्म भी दूर दराज गांवों तक पहुंचेगी. इससे फिल्म जगत को ज्यादा फायदा होगा।
मनोज वर्मा यह जरूर कहते हैं “फिल्म सिटी का निर्माण होता है तो स्वाभाविक उसका लाभ छत्तीसगढ़ फिल्म जगत से जुड़े लोगों को मिलेगा. निर्माता निर्देशक और कलाकारों को इसका फायदा होगा. फिल्म सिटी होने से एक सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बाहर से लोग यहां काम करने आएंगे, उनसे हम सीख सकते हैं, बड़ी इंडस्ट्री के लोग आएंगे. हिंदी कर दूसरी भाषाओं में फिल्में शूट होगी।
प्रदेश में भरपूर फिल्मी लोकेशन: मनोज वर्मा कहते हैं “छत्तीसगढ़ में शूटिंग के लिए किसी लोकेशन की कमी नहीं है. यहां काफी अच्छी-अच्छी लोकेशन है लेकिन कुछ ऐसी जगह है जहां हम शूटिंग के दौरान फंस जाते हैं. जैसे एयरपोर्ट, जेल और रेलवे स्टेशन सहित कई ऐसी जगह है, जहां शूटिंग करना काफी मुश्किल होता है. पब्लिक होने की वजह से भी परेशानी होती है. ऐसे में बनाए जाने वाले फिल्म सिटी में इसका निर्माण होगा तो उसका फायदा फिल्म बनाने के दौरान मिलेगा.”
बाहर जाकर शूटिंग करना पड़ता है काफी खर्चीला: सतीश जैन ने बताया कि वर्तमान में फिल्म सिटी ना होने की वजह से इन स्थानों को शूट करने के लिए उन्हें हैदराबाद, विशाखपट्नम या मुंबई जाना पड़ता है, जो काफी खर्चीला होता है. ऐसे में इन चीजों का निर्माण फिल्म सिटी होता है तो इससे उन्हें काफी फायदा होगा. खर्चा भी कम होगा और समय भी बचेगा।
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