मदर्स डे : CM विष्णुदेव बोले, जहां ‘हूं’ मां की वजह से ही हूं! विजय शर्मा और बृजमोहन ने बताए दिल को छूने वाली मां से जुड़ी कहानियां

By : hashtagu, Last Updated : May 12, 2024 | 2:47 pm

रायपुर। मदर्स डे (Mother’s Day) पर आज सभी अपनी-अपनी माताओं का वंदन-अभिनंदन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ की राजनीति में सियासी महारथियों ने अपने-अपने मां के बारे में भाव भरे भावनाओं से परिपूर्ण सुनाए। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Chief Minister Vishnudev Sai) और डिप्टी सीएम विजय शर्मा सहित बृजमोहन अग्रवाल ने अपनी यादों से अनसुनी कहानियों को बयां किया, जो दिल को छूने वाली बातें रही। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपनी मां के संघर्ष को अपनी जिंदगी की प्रेरणा मानते हैं। उन्होंने देखा कि कैसे पिता के निधन के बाद मां ने तीन बेटों पाला और शिक्षित किया।

प्रदेश के शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भावुक हुए, इस लोकसभा चुनाव के दरम्यान उनकी माता का निधन हुआ। वो याद करते हैं उनकी बातें और उनका लाड़। प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने भी अपनी मां से जुड़ी दिलचस्प बातें से साझा की हैं।

सीएम विष्णुदेव साय ने कहा-मां ने पिता बनकर पाला हमें

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मां जसमनी देवी को लेकर अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा- मेरे पिता जी का निधन तब हो गया जब मैं 10 साल का था। मैंने देखा कि कैसे पिता बनकर हमारी मां ने हमें पाला और इस काबिल बनाया। आज जहां हूं मां की वजह से ही हूं। 7 जन्मों में भी मैं उनका ऋण चुका नहीं सकता। हम रोज मां के चरण छूकर आर्शीवाद लेते हैं, मदर्स डे उन देशों में मनता है जहां एक दिन मां को याद किया जाए, मगर हम रोज ही मां को प्रणाम करते हैं।

  • मुख्यमंत्री साय की मां जसमनी देवी ने कैसे बेटों को परवरिश दी, पढ़ाई में हमेशा मजबूत रहना सिखाया ये बगिया गांव जानता है। मां को घर का हर जिम्मा निभाता देख CM साय में भी जिंदगी से जूझने की आदत आ गई। गांव के मुद्दों को लेकर अधिकारियों से भिड़ जाते थे। लोगों की आवाज बेटा बने ये मां भी चाहती थी। मां ने ही विष्णुदेव साय को सार्वजनिक जीवन जीने को कहा वो गांव के पंच और फिर सरपंच बने, विधायक, सांसद केंद्र सरकार में मंत्री बने, अब आज प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

पहला चुनाव जब मां नहीं, तस्वीर साथ थी

प्रदेश के शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विधायकी के पहले चुनाव का पर्चा मां पिस्ता देवी के पैर छूकर भरा था। वो लगातार 8 बार चुनाव जीते, इस बार का लोकसभा चुनाव पहला ऐसा चुनाव था जब मां साथ नहीं रहीं। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- जब मां का देहांत होने के 4 दिन बाद ही मुझे लोकसभा का प्रत्याशी घोषित किया गया, मुझे लगा मां के आर्शीवाद से ही ये मौका मिला है।

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बृजमोहन ने आगे कहा- इस बार वो साथ नहीं थीं मगर उनकी फोटो मैंने अपने चुनाव कार्यालय में अपने घर पर, ऑफिस में लगा रखी है। उनकी तस्वीर को प्रणाम करके ही अपने दिन की शुरुआत करता हूं, जिस दिन नॉमिनेश भरने जा रहा था मैं इमोशनल हो गया था। मुझे याद है जब भी धूप में जाता था चुनाव प्रचार करने तो वो कहती थीं- जेेब में प्याज लेकर जाओ, धूप से बचकर रहना, मुझे आम का पना बनाकर देती थीं,खाली पेट घर से निकलने नहीं देती थी, बीच बीच में चुनाव के बारे में जानकारी लेती थी पूछती थीं सब ठीक चल रहा है न। उनकी इच्छा थी गरीब आम लोगों के लिए उनके मांगलिक कार्यक्रमों के लिए धर्मशाला बने। मैं इस काम में लगा था, जल्द इसका काम शुरू होगा।

स्कूल में पहला चुनाव मां ने ही लड़वाया, पिटाई से डरता हूं

प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा वैसे तो निडर होकर काम करते दिखते हैं, मगर अब भी मां कृष्णा देवी की पिटाई से डरते हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी के पहले चुनाव के बारे में बताया। गृहमंत्री ने कहा- मैं स्कूल में था, छात्र संघ का चुनाव होना था। मैं इन सब से दूर रहता था, मेरी सोच थी पढ़ाई पर फोकस करूं कोई सर्विस ज्वाइन करूं। दोस्त स्कूल का चुनाव लड़ने की जिद करने लगे, मैंने घर आकर मां को बताया।

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इसके बाद घर पर बैठक हुई, दोस्त आ गए सभी की भीड़ थी, मेरी ओर से मां कहने वाली थीं कि चुनाव वगेरह विजय नहीं लड़ेगा मगर जैसे ही बात शुरु हुई सबसे पहले मां ने कह दिया ये चुनाव लड़ेगा और फिर ऐसे मेरी जिंदगी का पहला चुनाव मैंने लड़ा। हमारे घर पर पिता जी का भय नहीं होता था, मां की पिटाई का भय होता था। अभी भी कुछ गलत करूं तो पड़ जाती है, बचपन में तो मार पड़ी ही है। इसके बाद तो वो हमेशा मुझे साहस देती रहीं हैं बिना ये पता लगे कि वो मेरी मदद कर रही हैं। दिनभर में जब भी वक्त मिलता है उनसे बात करके आर्शीवाद ले लिया करता हूं।

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