रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार अब नई एंटी-नक्सल नीति के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बड़ी सुविधाएं देने की तैयारी कर रही है। गृह मंत्री और डिप्टी सीएम विजय शर्मा (Vijay Sharma) ने बताया कि जो नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे, उन्हें हर महीने 10 हजार रुपये की सैलरी दी जाएगी। इसके अलावा, सरेंडर करने वाले नक्सलियों पर जो इनाम राशि घोषित की जाती थी, वह भी अब सीधे उन्हें दी जाएगी। पहले यह राशि नक्सलियों को पकड़ने वाली पुलिस टीम के बीच बांट दी जाती थी।
विजय शर्मा ने कहा कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों को आगे की जिंदगी जीने के लिए तमाम सुविधाएं दी जाएंगी। ये सुविधाएं रहने के लिए प्लॉट या मकान, रोजगार से जुड़े संसाधन, और शिक्षा-प्रशिक्षण के रूप में होंगी। नक्सलियों को अब खास भवनों में रखकर प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें काम सिखाया जाएगा ताकि वे अपने जीवन में रोजगार हासिल कर सकें।
गृहमंत्री ने आगे कहा, “मुझसे किसी सीनियर पत्रकार ने कहा था कि अगर इन सुविधाओं को देखा जाए, तो नक्सली बनना ही अच्छा है,” यह कहकर वे मुस्कुराए।
बस्तर में मांझियों की भागीदारी बढ़ेगी
विजय शर्मा ने यह भी कहा कि बस्तर क्षेत्र के विकास के लिए पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से काम किया जाएगा। बस्तर के मांझियों (जो वहां के आदिवासी जनप्रतिनिधि होते हैं) की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अब बस्तर के जिला पंचायत सभागृह में बैठकें होंगी, जहां मांझी तय करेंगे कि उनके गांवों में कौन-कौन से निर्माण कार्य करवाए जाएं। यह प्रक्रिया समाज के लिए एक नया समाधान देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगी।
नक्सलवाद को खत्म करने का लक्ष्य: मार्च 2026
गृहमंत्री विजय शर्मा ने यह भी कहा कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य है। हाल ही में छत्तीसगढ़ दौरे पर आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी इस बात का ऐलान किया था कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा। इसके बाद से प्रदेश में नक्सलियों के खिलाफ एनकाउंटर और अन्य सुरक्षा उपायों की कार्रवाई तेज कर दी गई है।
प्रदेश सरकार का दावा है कि पिछले एक साल में 212 से ज्यादा नक्सली एनकाउंटर में मारे गए हैं, जो कि पिछली सरकारों के पांच-पांच साल के कार्यकाल में भी नहीं हुए थे।