नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। इंडिया ब्लॉक के पार्टनर समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल नहीं बिठाने और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का मुद्दा उठाने से पार्टी को काफी नुकसान हुआ है, भाजपा प्रचंड बहुमत (BJP overwhelming majority) के साथ सत्ता बरकरार रखने के लिए तैयार दिख रही है।
भारतीय चुनाव आयोग के मुताबिक, दोपहर 12.50 बजे तक मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से बीजेपी 162 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 65 सीटों पर बढ़त के साथ काफी पीछे चल रही है।
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की मांग की थी और कांग्रेस से छह सीटें देने को कहा था। लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा सपा के साथ किसी भी गठबंधन की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद इंडिया गुट में दरारें दिखाई दीं।
कांग्रेस के इनकार के बाद, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने सबसे पुरानी पार्टी पर निशाना साधा और उस पर स्वार्थी होने का आरोप लगाया। मध्य प्रदेश में सपा ने 69 उम्मीदवार उतारे। बाद में तीन उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया। अब ऐसा लगता है कि सपा उम्मीदवारों ने उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे जिलों में कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है।
इसके अलावा, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में ओबीसी को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाने से भी पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा है, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले से ही मध्य प्रदेश में इस समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
राहुल गांधी ने सत्ता में आने पर जाति-आधारित जनगणना का वादा किया, पार्टी नेताओं ने राज्य में उनका अनुसरण किया। चौहान भावनात्मक रूप से महिला मतदाताओं से यह कहकर जुड़े हुए थे कि उनके जाने के बाद वे उन्हें याद करेंगी।
चौहान का यह बयान उनके मूल मतदाताओं से जुड़ा और खुद को नया ब्रांड बनाने में मदद की। राज्य सरकार पर 50 फीसदी भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर कर्नाटक की तर्ज पर चौहान और भाजपा पर निशाना साधना मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए उल्टा पड़ गया।
राज्य में हर महिला को 1,500 रुपये प्रति माह देने की कांग्रेस की गारंटी चौहान के नेतृत्व वाली सरकार की ‘लाडली बहना’ योजना ने खत्म कर दी। पार्टी के कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि कमल नाथ पर अत्यधिक निर्भरता कांग्रेस के लिए महंगी साबित हुई है, जो चुनाव परिणाम के रुझानों में दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की जनता से 11 वादे किए, इनमें पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करना, 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर, 100 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह आदि शामिल हैं।
कांग्रेस ने राज्य में आक्रामक अभियान चलाया था और पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला को भी नियुक्त किया था, जिन्होंने इस साल की शुरुआत में कर्नाटक में काम किया था, उन्हें जे.पी. अग्रवाल की जगह मध्य प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया गया था। पार्टी सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश में पार्टी के प्रचार अभियान की देखरेख करने वाले कांग्रेस रणनीतिकार सुनील कनुगोलू ने आखिरी समय में हार मान ली।