हैशटैग यू डेस्क (रायपुर)। कहते हैं सियासी मौसम में उतार और चढ़ाव को दौर खास तौर पर उस समय अपने चरम पर पहुंच जाता है, जब चुनावी मौसम की घटाएं देश या किसी प्रदेश में छाने लगती हैं। ऐसे में हर दिशाओं से द्रोणिका बनने लगती है। तो कभी-कभी दो विपरित दिशाओं से नम और गर्म हवाएं आपस में टकरा जाती है। फिर क्या, तूफान के साथ बारिश की संभावनाएं बलवती हो जाती है। कुछ इसी अंदाज में अब देश में लोकसभा के चुनावी मौसम बनने लगा है। ऐसे में विभिन्न विचारधारा वाले सियासी दल सत्ता की कुर्सी के लिए या अपने-अपने गठबंधन की पैरवी करते दिख रहे हैं। इसमें गठबंधन के जरिए ही केंद्र की सत्ता को पाने की जंग छिड़ी हुई है।
इधर, जहां राहुल गांधी अपने भारत जोड़ो न्याया यात्रा के दौरे पर निकले हैं। वहीं पीएम मोदी की ब्रांडिंग के सहारे बीजेपी अपनी चुनावी रणनीति को धार देने में जुटी है। 2024 मिशन में खुद पीएम मोदी भी संसद से लेकर सार्वजनिक मंचों से आक्रामक भूमिका में हैं। इतना ही नहीं वे अपनी सियासी गतिविधियों के साथ-साथ पीएम की भूमिका में राष्ट्रहित के काम करने से भी नहीं चूके रहे हैं।
यही कारण है कि मोदी के बीजेपी के लोकसभा में 370 सीट और एनडीए गठबंधन के 400 पार दावे को कम नहीं आंकना गलत होगा। क्योंकि पीएम मोदी अब कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों के प्रधानमंत्री के वे कार्य जिससे देश की सेहत फर्क पड़ा था, उसका उल्लेख करने से न तो PM मोदी चूक रहे हैं, और न बीजेपी।
इधर, राहुल गांधी अपने पूरे न्याय यात्रा के दौरान सिर्फ पीएम मोदी के तेली नहीं होने संबंधी जातिगत टिप्पणी और मोदी के कार्यकाल की आलोचना कर रहे है। लेकिन उनके इस मोदी के जन्मजात जातिगत बयान दे रहे हैं। उतना ही पीएम मोदी को पूरे देश में उनके प्रति एक सहानुभूति का भाव पनप चुका है। खास तौर पर ओबीसी वर्ग में। वैसे इसका पता लोकसभा चुनाव के मतदान के बाद मालूम हो जाएगा। एेेसे में राजनीतिक जानकारों के मुताबिक पीएम मोदी का बीजेपी के 370 सीट और एनडीए के 400 सीट पार दावा मात्र एक कोरी कल्पना नहीं हो सकती है। क्योंकि वे बहुत ही दूरदर्शी सोच वाले जादुई व्यक्तिव और खुद को एक नवीन भारत के युग प्रवर्तक के रुप में स्थापित कर चुके हैं। ऐसे में जब तक देश उनके साथ हैं, तब तक विपक्ष की लाख कोशिशें भी उनकी लोकप्रियता को कम नहीं कर पाएगी। क्योंकि अभी तक मोदी के चेहरे का कोई विकल्प नहीं बन सका है। ऐसे में तीसरी बार भी मोदी सरकार।
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा के बाद दूसरी बार लोकसभा चुनाव के नजदीक आने न्याय यात्रा कर रही है। जिसे एक सियासी नजरिए भी देखा जा रहा है। राहुल गांधी देश की जनता को संदेश देना चाह रहे हैं, उन्हें भी मौका मिले या न भी मिले पर मोदी हटें। यात्रा में पीएम मोदी जितनी भी आलोचना कर रहे हैं, उसका फायदा मोदी को ही मिल रहा है। और मोदी और देश की जनता के मन मष्तिक में स्थाई भाव से छा रहे हैं। क्योंकि उन पर जातिगत टिप्पणी और उनके ओबीसी नहीं होने की राहुल की आवाज की गूंज देशभर में सुनाई दे रही है। इस सियासी जुबानी जंग में राहुल जो भी सियासी प्रहार कर रहे हैं, उसका सीधा फायदा बीजेपी या एनडीए गठबंधन को मिलता दिख रहा है। यही कारण भी देश के जनता के नब्ज को पकड़ कर इंडिया गठबंधन को एक करने के मिशन में जुटे सियासी धुरंधर छिटक जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि इंडिया गंठबंधन में कांग्रेस के साथ कुछ ही क्षेत्रप पार्टियां ही बची रह जाएंगी।
ये दीगर बात है कि साउथ भारत के राज्यों में कांग्रेस अपने इंडिया गठबंधन के साथ वर्चस्व कायम रख सकती है। लेकिन इस बार वहां भी कांग्रेस की राहें आसान नहीं है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि जब राहुल को मोदी के खिलाफ इंडिया गठबंधन को मजबूत करना था, वो न्याय यात्रा में लगे हैं, इधर गंठबंधन पूर्ण आकार लेने से पूर्व की टूटने लगा है। बहरहाल, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। कौन होगा केंद्र की सत्ता का सिंकदर।
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