Politics Story : चुनावी होड़ में किस मोड़ पर BJP-कांग्रेस! संगठन की ‘किलेबंदी’ शुरू

By : madhukar dubey, Last Updated : August 12, 2023 | 2:19 pm

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Election) कांग्रेस-BJP (Congress-BJP) के केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना गया है। क्योंकि छत्तीसगढ़ चुनाव के बाद लोकसभा के चुनाव की बारी होगी। बीजेपी की सोच है कि अगर छत्तीसगढ़ में चुनावी जीत मिलती है तो लोकसभा चुनाव के समय उसके पक्ष में एक अच्छा संदेश जाएगा। इसके जरिए बीजेपी इंडिया गठबंधन पर छत्तीसगढ़ जीत के बहाने कांग्रेस सहित अन्य दलों को घेरेगी। यही वजह है कि इधर 2023 के चुनावी साल में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व नेताओं के लगातार दौरे हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अमित शाह, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह सहित पीएम मोदी भी आ चुके हैं। वैसे केंद्रीय नेतृत्व के चुनावी स्मीकरण को लागू करने की जिम्मेदारी बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर को मिली है। जहां वे लगातार बैठक ले रहे हैं। उसके साथ ही यहां छत्तीसगढ़ में केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया को भी लगाया गया है। ताकि वे ओबीसी मोर्चा को एक्टिव कर सके। इसके मद्देनजर आज मनसुख मंडाविया बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के पदाधिकारियों को चुनावी टिप्स देंगे।

पार्टी के सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के सभी मोर्चा के क्षत्रपों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र में चल रही जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में लोगों बताना। साथ यह भी बताना है कि मोदी के 9 साल के राज में जनता को कौन-कौन सी योजनाओं की लाभ मिला। वहीं राज्य सरकार के बारे में यह भी बताना है कि केंद्र की महत्वाकांक्षी योजनाओं को यहां क्यों लागू नहीं किया। कांग्रेस की नीतियों और राज्य सरकार के दौरान हुए घोटाले को लेकर जनता के बीच जाना है। यानी मिला जुलाकर दो चीजें हैं, केंद्र सरकार की उपलब्ध्यिां और राज्य सरकार की नकामी। जिसे लेकर बीजेपी 90 विधानसभा क्षेत्रों में जाएगी। जहां अपने पक्ष में चुनावी माहौल बनाने की कोशिश करेगी। अब देखने वाली बात है कि भूपेश सरकार की योजनाओं से मिल रहे लाभ जैसे कर्जमाफी, 25 सौ रुपए धान के समर्थन मूल्य के दांव को फेल कर पाती है। वहीं कांग्रेस अपने 2018 के चुनावी घोषणा में पूरे किए गए वादों को लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी में है। लगभग यह अभियान भी कांग्रेस ने शुरू कर दिया है।

ही वजह भी बीजेपी ने कांग्रेस के धान खरीदी की दांव पर वार करते हुए यह कहती दिख रही है कि केंद्र सरकार धान खरीदी के पैसे को दे रही है। जिस पर कांग्रेस भी पलटवार कर रही है। इन सबके बीच बीजेपी ने भूपेश सरकार में हुए जो घोटाले की लिस्ट बनाई है। उस पर कांग्रेस कहती है कि बीजेपी ने जितनी भी भूपेश सरकार की योजना है, उनके नाम के सिर्फ घोटाला भर लिख दिया है, जैसा की मुख्यमंत्री भूपेश कहते आ रहे हैं। वैसे कांग्रेस-बीजेपी दोनाें पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ नैरेटिव बनाने में जुटी है। बहरहाल, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा आरोप-प्रत्यारोप के बीच जनता किस पार्टी को वोट करती है।

देखा जाए तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां अपने-अपने संगठन के विभिन्न मोर्चा की बैठकों को आयोजित कर रही है। जहां कार्यकर्ताओं को चुनावी रणनीति बताए जा रहे हैं। और टिप्स दिए जा रहे हैं कि कैसे जनता के बीच कैसे जाना है। क्या मुद्दे लेकर जाना है ताकि विपक्षी पार्टी को लोग वोट न दे। कांग्रेस जहां छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा क्षेत्रों में संकल्प शिविर के माध्यम से बूथ स्तर के कार्यकताओं को चुनावी टिप्स दे रही है। वहीं बीजेपी अपने चुनावी घोषणा पत्र की सुझाव पेटी लेकर जा रही है। इसके आलवा सभी मोर्चा की बैठकें भी आयोजित हो रही हैं।

कांग्रेस जहां भूपेश सरकार के कामकाज की ब्रांडिंग जनता के बीच कर रही है। वहीं बीजेपी मोदी और पूर्ववर्ती रमन सरकार के 15 साल के कार्यकाल के दौरान हुए कामों और मोदी सरकार के कामों को लेकर जनता के बीच जा रही है। इतना तो तय है कि भूपेश सरकार के तिलस्म को तोड़ पाना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। वैसे बीजेपी-कांग्रेस दोनों अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं।

यह भी पढ़ें : Inside Story : नई पार्टी बनाकर ‘चुनावी जंग’ में कूदे अरविंद नेताम,  50 सीटों पर बिगाड़ेंगे कांग्रेस-BJP का खेला!

यह भी पढ़ें : ‘BJP-कांग्रेस’ संगठन के बदलाव पर ‘एक-दूसरे’ पर मारे सियासी व्यंग!