छत्तीसगढ़। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार (Previous congress government) में हुए 600 करोड़ रुपए के चावल घोटाले की जांच के दायरे में आने वाले अफसर लीपापोती में जुटे है। एक मीडिया रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा करते हुए चावल घोटाले की जांच (Rice scam investigation) में सबूतों और स्टॉक के मिलान आदि में गड़बड़ी होने की बात सामने आई है। राज्यभर में 216 करोड़ के चावल के फर्जीवाड़े की जांच के लिए 31 मार्च तक 13779 राशन दुकानों को ऑनलाइन अपने स्टॉक को अपडेट करना था, लेकिन अभी तक केवल 691 राशन दुकानों ने ही ऑनलाइन इंट्री अपडेट की है। 33 जिलों में अभी भी राशन दुकानों से 15.57 लाख मीट्रिक टन चावल और 48 हजार क्विंटल शक्कर गायब है। इसकी कीमत 200 करोड़ से भी ज्यादा है। राशन दुकानों के भौतिक सत्यापन को लेकर अफसर जमकर लीपापोती कर रहे हैं।
इधर दूसरी ओर नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों से खराब चावल की सप्लाई का मामला खाद्य मंत्री तक पहुंच गया है। रायपुर के गुिढ़यारी, खरोरा, तिल्दा समेत आसपास के गोदामों से राशन दुकानों मे जाने वाला चावल बेहद खराब क्वालिटी का है। लोगों ने जब इसकी शिकायत दुकानदारों से की तो उन्होंने यह मामला खाद्य विभाग के अफसरों तक पहुंचाया। इस पूरे मामले में नान के महाप्रबंधक ने रायपुर जिला प्रबंधक से भी पूछताछ की है। उनकी भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
सरकारी राशन की जानकारी रखने वालों का दावा है कि पूरा घोटाला 600 करोड़ से ज्यादा का है। लेकिन खाद्य विभाग के अफसरों की भूमिका संदिग्ध होने की वजह से इस मामले में पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है। पहली जांच के आधार पर ही इसे 216 करोड़ का फर्जीवाड़ा माना जा रहा है। इसकी भी जांच व्यापक तरीके से नहीं की जा रही है। खाद्य संचालनालय ने इस मामले में जिले के अफसरों को राहत देते हुए अब 6 से 25 अप्रैल तक भौतिक सत्यापन करने का नया फरमान जारी कर दिया है।
इन जिलों में भारी गड़बड़ी : खाद्य संचालनालय ने 4 अप्रैल 2024 को चिट्ठी लिखकर जिलों में बचे चावल और शक्कर के स्टॉक की जांच करने कहा था। 31 मार्च तक की जांच के अनुसार अभी सबसे ज्यादा रायपुर जिले में 1.56 लाख क्विंटल, दुर्ग में 1.49 लाख, धमतरी में 90 हजार, महासमुंद में 76 हजार, जांजगीर में 58 हजार और बेमेतरा में 54 हजार क्विटंल चावल का हिसाब ही नहीं मिल रहा है। राज्य की अधिकतर राशन दुकानें ऐसी हैं जिनके पास गोदामों में 300 से 500 क्विंटल चावल रखने की जगह ही नहीं है। इसके बावजूद वहां हजारों क्विंटल चावल बचत में दिखता रहा।
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