छत्तीसगढ़। धान के कटोरे के रुप में छत्तीसगढ़ मशहूर है। यहां धान की अनेक वैरायटी हैं। इन्हें संशोधित कर और भी उन्नशील के रूप में इंदिरा गांधी कृषि विवि (Indira Gandhi Agricultural University) के वैज्ञानिक तैयार कर रहे हैं। वैसे ऐसी बहुत सी किस्में हैं, जिन्हें विवि ने तैयार किए हैं। इंदिरा गांधी कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने धान की एक नई किस्म विकसित की है जो शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में उपयोगी है। दस दिन तक इसका चावल खाने (Sanjivani paddy variety) से ही शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
1970 के दशक में तत्कालीन मध्यप्रदेश के जमाने में कृषि वैज्ञानिक डा. आरएच रिछारिया ने प्रदेशभर से धान की किस्में खोजकर उनका संग्रह तैयार किया था। आज भी कृषि विश्वविद्यालय में धान के 23250 से ज्यादा जर्मप्लाज्म सुरक्षित हैं। यह देश का सबसे बड़ा संग्रह है। इनमें ज्यादातर किस्में छत्तीसगढ़ के धान की हैं। इन्हीं किस्मों से, यहां के पारंपरिक ज्ञान के आधार पर संजीवनी को विकसित किया गया है। इस पर कृषि विवि के कुलपति डा. गिरीश चंदेल के नेतृत्व में विश्वविद्यालय और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) ने छह साल तक अनुसंधान किया है। इसमें कृषि विवि के साइंटिस्ट डॉ. दीपक शर्मा, बार्क के वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
कर रहे तैयार
इंदिरा गांधी कृषि विवि के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय में संजीवनी के पांच क्विंटल बीज इस साल तैयार करने का लक्ष्य है। अगले साल सौ क्विंटल का लक्ष्य रहेगा। विश्वविद्यालय का प्रयास रहेगा कि प्रदेश के किसानों के बीच इस किस्म का ज्यादा से ज्यादा विस्तार हो।
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