रायपुर। बीजेपी को केंद्र में काबिज हुए अब 10 साल होने को हैं। इस बीच मोदी मैजिक के सहारे पार्टी और भी चुनाव जीतते रही है पर समय के साथ PM मोदी मैजिक (PM Modi Magic) भी अब बेअसर होते जा रहा है। हिमाचल और कर्नाटक में कांग्रेस की जीत इसके उदाहरण हैं और इसके पीछे की वजह भी एक मात्र राहुल गांधी हैं। भारत जोड़ो यात्रा ने निश्चित रूप से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पूरे देश में लोकप्रिय बना दिया है। देश की जनता राहुल गांधी को स्वीकारने लगी है और मोदी के सामने ला कर खड़ा कर दिया है।
राहुल हिंडनबर्ग से लेकर मणिपुर जैसे मुद्दों को सामने ला कर मोदी व शाह को असहज तो किया ही साथ ही अब ये भी पूछा जा रहा है कि क्या नोटबंदी, जीएसटी, चीन, कोविड, महंगाई, किसानों पर लाए गए तीन बिल, मणिपुर पर राहुल के उठाए गए सवाल गलत थे। राहुल गांधी के ये सभी सवाल अब देश की जनता के सामने उनकी जुबान पर है और मोदी राहुल गांधी की इस वर्तमान से,उनकी सच्चाई से घबरा रहे हैं।इतना ही नहीं राहुल गांधी अध्यक्ष पद को भी ठुकरा दिए तो परिवारवाद का मुद्दा भी बीजेपी से छीन गया। कहने को अब बीजेपी के तरकश में कोई तीर बचा नहीं। वहीं राहुल के सवालों का उनके उठाये मुद्दों का बीजेपी के पास ठीक-ठीक जवाब नहीं होना,साफ बयां कर रहा है कि मोदी-शाह पुराने परिवारवाद, नेहरू-इंदिरा की बात कर इतिहास के पीछे छुपने मजबूर हैं।
बीजेपी राहुल गांधी को नीचा दिखाने जिस तरह से अनेक प्रकार के मीम बना-बना कर प्रचारित करती थी।आज वही उन पर भारी पड़ रहा है।बीजेपी लगातार राहुल गांधी को डिसक्रेडिट करने का प्रयास करती रही है।बीजेपी जितना राहुल गांधी को डिसक्रेडिट करने की कोशिश करती गई,उनकी स्वीकार्यता उतनी ही बढ़ते चली गई और सही मायने में बीजेपी ने ही राहुल गांधी को देश का हीरो बना दिया है। मोदी से लेकर तमाम बीजेपी के नेता यह कहते नहीं थकते थे कि अगर राहुल गांधी कांग्रेस प्रचारक हैं तो यह हमारे लिए बहुत फायदेमंद होगा। कांग्रेस का नेतृत्व राहुल करेंगे तो जीवन भर बीजेपी जीतती रहेगी। राहुल गांधी को हीनभाव से टैग करना तो शायद बीजेपी के एजेंडा में ही शामिल हो गया था। लेकिन राहुल गांधी ने इस सभी चीज़ों का जवाब अपनी भारत जोड़ो यात्रा से दे दिया। उन्होंने बता दिया कि वो गंभीर राजनीति करना चाहते हैं, उनमें मेहनत करने की ताकत है। उनमें बनावटी राजनीति करने के गुण नहीं हैं और देश के लोग उनसे प्यार करते हैं और वे भी देश के हर वर्ग के साथ हैं।
बात तब कि है जब मई 1977 में बिहार के गांव बेलछी में ऊंची जाति के जमींदारों ने दस से अधिक दलित लोगों की हत्या कर दी। जब ये घटना हुई तो बहुत कम लोगों का ध्यान उस तरफ गया लेकिन जुलाई में इंदिरा गांधी ने वहाँ के दलितों के प्रति सहानुभूति जताने के लिए वहाँ जाने का फ़ैसला किया।उस समय पूरे बिहार में भारी वर्षा हो रही थी। बेलछी के पूरे रास्ते में कीचड़ ही कीचड़ और बाढ़ का पानी फैला हुआ था। आधे रास्ते में ही इंदिरा को अपना वाहन छोड़ना पड़ा लेकिन उन्होंने अपनी यात्रा रोकी नहीं। वो हाथी पर सवार होकर बाढ़ से घिरे गाँव बेलछी पहुंचीं। अख़बारों में हाथी पर चढ़ी इंदिरा गांधी की तस्वीर से ये संदेश गया कि अभी वो मुकाबले में डटी हुई हैं। ठीक उसी तरह जैसे आज के दौर में राहुल गांधी कर रहे हैं।मणिपुर में फैली हिंसा के बीच वे वहां तब गए जब उनकी संसद की सदस्यता छीन ली गई थी।जबकि प्रधानमंत्री मोदी आज तक मणिपुर जाने की जरूरत नहीं समझे।
(लेखक-‘ब्रजेश सतपथी’ स्वतंत्र पत्रकार)
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