रायपुर। छत्तीसगढ़ में हसदेव जंगल में पेड़ों की कटाई के लिए सीएम विष्णुदेव साय ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। इस बात को डिप्टी सीएम रहे टीएस सिंहदेव ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि पीकेईबी खदान की स्वीकृति यूपीए शासनकाल में दी गई थी। दूसरी ओर रायपुर में कांग्रेसियों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया।
पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि, प्रस्तावित दो नई खदानों को मंजूरी नहीं देने के लिए विधानसभा में सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिल्ली भेजा गया था। इसमें भाजपा विधायक भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री स्वयं आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वे संवेदनशीलता से इस पर विचार करेंगे।
सिंहदेव ने कहा कि, मुख्यमंत्री जल जंगल जमीन को समझते हैं। जरूर संवेदनशीलता से इस पर विचार करेंगे। पुरानी खदान की बात अलग है। नई खदानों के लिए मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा कि आप पहल करें। यह आदिवासी बाहुल्य इलाका भी है। दोनों नई खदानों को रोकने के लिए पहल करेंगे।
सिंहदेव ने कहा कि, लोग दो प्रस्तावित नई खदानों का विरोध कर रहे हैं। फतेहपुर सहित अन्य गांव के शत प्रतिशत लोग अपनी जमीन खदान के लिए नहीं देना चाहते हैं। हमने गांव वालों से कहा कि गुप्ता मतदान करा लेंगे। कुछ लोगों ने कहा कि वे जमीन देना चाहते हैं। 90 प्रतिशत लोग एकराय हैं तो सरकार को बात माननी चाहिए।
इससे पहले सुबह रायपुर से बिलासपुर रवाना होने से पहले सीएम विष्णुदेव साय ने कहा था कि, पेड़ों के कटाई की अनुमति कांग्रेस की सरकार थी, तब दी गई थी। पहले जो भी काम हुए, चाहे वह पेड़ों की कटाई हो या अन्य कांग्रेस सरकार की अनुमति से हो रहा है। हसदेव अरण्य में 15 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जा रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर हसदेव में काटे जा रहे पेड़ों के विरोध में कांग्रेस ने शाम को रायपुर में प्रदर्शन किया। पूर्व विधायक विकास उपाध्याय के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया। विकास उपाध्याय ने कहा कि बीजेपी की सरकार केवल मित्र धर्म निभा रही हैं।
उन्होंने कहा कि, हसदेव बचाने की हम भाजपा से गुहार लगा रहे हैं। आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की जयंती है। जयंती को बीजेपी सुशासन दिवस के रूप में मना रही है। ये सुशासन नहीं कुशासन है कि आज आदिवासी भाई जल जंगल जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं।
सरगुजा के हसदेव इलाके में जंगल कोल ब्लॉक के लिए काटा जा रहा है। यहां से निकलने वाले कोयले का इस्तेमाल राजस्थान में बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा। खदान के विरोध में ग्रामीण और सामाजिक संगठन धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे लेकर कई बार पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प भी हो चुकी है।
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड को आवंटित परसा ईस्ट केते बासेन (PSKEB) कोल ब्लॉक के लिए 2,682 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है, जिसमें से 70 प्रतिशत एरिया फॉरेस्ट लैंड है। इस ब्लॉक के लिए 91.2 हेक्टेयर क्षेत्र से 15307 पेड़ों की होगी कटाई होगी।
2013 से हसदेव अरण्य क्षेत्र के इस कोल ब्लॉक में कोल उत्पादन किया जा रहा है। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने इस खदान क्षेत्र के 134.84 हेक्टेयर भूमि पर कोल माइनिंग की परमिशन दी थी। एक साल पहले सितंबर 2022 में 43.6 हेक्टेयर भूमि से फोर्स लगाकर 8000 पेड़ काटे गए थे।
पीईकेबी खदान को भारत की सबसे अच्छी संचालित खदानों में से एक माना जाता है। संचालन, पर्यावरण, सुरक्षा, पुनर्वास और पुनर्वास में उत्कृष्टता के लिए इसे 2019 से कोयला मंत्रालय द्वारा उच्चतम पांच सितारा दर्जा दिया गया है। आरआरवीयूएनएल ने एक मॉडल खदान विकसित की है और पीईकेबी खदान के आसपास शिक्षा और सशक्तिकरण, कौशल विकास, स्वास्थ्य देखभाल, महिला सहकारी और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के लिए समुदाय केंद्रित पहल में भारी निवेश किया है।
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