कमार और बसोड़ परिवारों को बांस शिल्पकला से मिलेगा नया आर्थिक संबल, बारनवापारा में प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू

By : dineshakula, Last Updated : August 26, 2025 | 5:13 pm

रायपुर, 26 अगस्त: छत्तीसगढ़ सरकार की वन विभाग की पहल पर बारनवापारा में बांस आधारित शिल्पकला (craftsmanship)एवं आभूषण निर्माण को लेकर एक विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू की गई है। इसका उद्देश्य है—राज्य की विशेष पिछड़ी जनजातियों विशेषकर कमार और बसोड़ समुदाय को पारंपरिक शिल्पकला के माध्यम से आजीविका के स्थायी स्रोत से जोड़ना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में यह योजना आदिवासी विकास और स्वरोजगार सृजन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। सरकार का मानना है कि बांस जैसी स्थानीय और पारंपरिक संसाधनों के माध्यम से समुदायों को सशक्त बनाया जा सकता है।

वन विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कुल 36 हितग्राहियों को दो चरणों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को न केवल बांस से आभूषण और कलात्मक उत्पाद बनाने की तकनीकें सिखाई जा रही हैं, बल्कि बाजार की जरूरतों के अनुसार आधुनिक डिजाइन और विपणन रणनीतियों से भी अवगत कराया जा रहा है।

कार्यशाला का एक प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि पारंपरिक शिल्पकला को संरक्षित और प्रोत्साहित किया जाए, जिससे इन समुदायों की सांस्कृतिक पहचान भी बनी रहे।

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रशिक्षण के बाद इन शिल्पकारों को राज्य के विभिन्न मेलों, हाट बाजारों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से बाजार उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे उनकी आय में निरंतर वृद्धि हो सके।

राज्य सरकार का यह प्रयास, खासकर विशेष पिछड़ी जनजातियों के बीच आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ाने और सामाजिक-आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देने की दिशा में एक सार्थक पहल है।