अब गरीबों के पास जा रहा है पूरा पैसा, राजीव गांधी के समय ऐसा नहीं था : सुरजीत भल्ला

By : hashtagu, Last Updated : April 28, 2024 | 8:31 pm

नई दिल्ली, 28 अप्रैल (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत रह चुके, मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य (Members of the Economic Advisory Council) रहे देश के जाने माने अर्थशास्त्री, लेखक और स्तंभकार सुरजीत भल्ला (Surjit Bhalla) ने आईएएनएस से खास बातचीत की।

उन्होंने इस बातचीत में पिछली सरकारों के काम करने के तरीके पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने राजीव गांधी सरकार के समय का जिक्र करते हुए बताया कि तब कहा जाता था कि एक रुपया गरीबों के लिए केंद्र से चलता है तो उसका 15 पैसा ही गरीबों को मिल पाता है।

उन्होंने आईएएनएस से साक्षात्कार में कहा कि 1985 में राजीव गांधी ने कहा था कि गवर्नमेंट पैसा खर्च करती है। मगर, गरीबों के पास सिर्फ 15 पैसे जाते हैं। बाकी, करप्शन और अमीरों को जाता है। जिनको चाहिए था, जिनके लिए हमने पॉलिसीज बनाई है। वहां सिर्फ 15% गई है। मेरे मुताबिक जो सबसीक्वेंट रिसर्च है, वो ओवर एस्टीमेट है, उससे भी कम गरीबों को जाता था। वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ जिन्होंने भी एनालिसिस किया है कि आज यह डिलीवरी 90% है। जो गवर्नमेंट पैसा गरीबों के लिए खर्च रही है, वह पैसा उनके पास सीधे जा रहा है। फूड सिक्योरिटी एक्ट 2013 में आया था, उस वक्त 20-25 परसेंट गरीबों को इसका लाभ जाता था। अब 90 या 100 परसेंट गरीबों को पहुंचता है।

उन्होंने महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे पर कहा कि कब महंगाई नहीं हुई है, विपक्ष या गवर्नमेंट जाकर वोटर से पूछते हैं कि महंगाई दर क्या है? मगर यह नहीं पूछते कि इंफ्लेशन कितनी बढ़ी हुई है। सामान की प्राइस बढ़ी है कि नहीं। कोई साल नहीं है जब मूल्य वृद्धि नहीं हुई थी। कितने सालों से चुनाव हो रहे हैं, मैंने एग्जामिन किया कि इन्फ्लेशन रेट अंपयारिकल मामला है। यह डाटा का मामला है। वोटर के दिमाग में रहता है कि 2019 में मेरी आमदनी इतनी थी, रोजगार की स्थिति यह थी और अब क्या है? युवाओं की बेरोजगारी की सब चर्चा कर रहे हैं कि बेरोजगारी बढ़ गई है। लेकिन, अगर आप 18 से 29 तक लें तो 2019 में अनइंप्लॉयमेंट का रेट 16 परसेंट था अब यह 10 प्रतिशत है। ऐसा नहीं है कि बेरोजगारी जीरो हुई है या महंगाई जीरो है लेकिन, जो भी चेंज हुआ है, वह लोगों को ठीक लग रहा है और लोग खुश हैं। ऐसे में जो वोटर वोट देता है तो वह देखता है कि इस बीच उसके जीवन में कुछ भला हुआ है कि नहीं और इन आंकड़ों के मुताबिक तो ऐसा हुआ है।

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