भारतीय-अमेरिकी विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग बढ़ाने के टास्क फोर्स में भारत में जन्मी शिक्षाविद का नाम

भारतीय मूल की शिक्षाविद नीली बेंदापुडी(blue bendapudi) को अमेरिका और भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच अनुसंधान और अकादमिक साझेदारी के विस्तार पर केंद्रित एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन यूनिवर्सिटीज

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  • Updated On - April 17, 2023 / 11:47 AM IST

   
न्यूयॉर्क, 17 अप्रैल (आईएएनएस)| भारतीय मूल की शिक्षाविद नीली बेंदापुडी(blue bendapudi) को अमेरिका और भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच अनुसंधान और अकादमिक साझेदारी के विस्तार पर केंद्रित एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन यूनिवर्सिटीज(Association of American Universities) (एएयू) कार्य-बल के पांच सह-अध्यक्षों में शामिल किया गया है। पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि बेंदापुडी जो पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष हैं, कार्य-बल के लिए स्वभावत: उपयुक्त हैं। उच्च शिक्षा और व्यवसाय में एक नेता के रूप में उनका 30 साल का करियर है।

बेंदापुडी ने कहा, मैं ह्वाइट हाउस द्वारा गठित इस प्रतिभाशाली आर प्रतिबद्ध टीम की सह-अध्यक्ष चुने जाने पर सम्मानित महसूूस कर रही हूं जिसका लक्ष्य भारतीय और अमेरिकी विश्वविद्यालयों के बीच अंतर-विषयी साझेदारी को मजबूत करने के लिए सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, मानव रहित वाहनों, अंतरिक्ष अन्वेषण, एआई और डिजिटल बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देना है।

उन्होंने एक बयान में कहा, हमारी भागीदारी अमेरिकी उच्च शिक्षा में पेन स्टेट की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। मैं भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ पेन स्टेट की मौजूदा साझेदारी को आगे बढ़ाने और इस प्रभावशाली सहयोग का समर्थन करने के लिए हमारे अनुसंधान और अकादमिक विशेषज्ञता को सबसे आगे लाने के लिए तत्पर हूं।

एएयू ने महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी पर बाइडेन प्रशासन की यूएस-भारत पहल के समन्वय में राष्ट्रीय कार्य-बल बनाया है, जो दोनों देशों के बीच तकनीकी और औद्योगिक सहयोग को बढ़ाना चाहता है।

भविष्य की साझेदारी के लिए ब्लूप्रिंट प्रदान करने में सक्षम मौजूदा कार्यक्रमों की पहचान करने और आगे बढ़ने के लिए सर्वोत्तम तरीके से रणनीति तैयार करने के लिए कार्य-बल द्विपक्षीय अनुसंधान और शिक्षा सहयोग के लिए फोकस क्षेत्रों को निर्धारित करने के लिए मासिक रूप से बैठक करेगा।

विश्वविद्यालय के एक बयान में कहा गया है कि भारत में कॉलेज-आयु के छात्रों की बढ़ती आबादी को देखते हुए, पेन स्टेट सावधानी से इस बात पर विचार करेगा कि आने वाले महीनों में आर्टिक्यूलेशन समझौतों को कैसे प्रबंधित किया जाए और भारतीय संस्थानों से क्रेडिट कैसे स्थानांतरित किया जाए।

बेंदापुडी लुइसविल विश्वविद्यालय की अध्यक्ष थीं, जहां उन्होंने शिक्षा, वित्त, स्वास्थ्य उद्यम, परोपकार, एथलेटिक्स, विविधता, इक्विटी और समावेशन तथा अन्य क्षेत्रों में कई सुधारात्मक प्रयासों को अपनी देखरेख में क्रियान्वित किया।

भारत में जन्मी और पली-बढ़ी, बेंदापुडी ने आंध्रा यूनिवर्सिटी से स्नातक और एमबीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैंसस से मार्केटिंग में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उनके पिता ने भी अमेरिकी विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की थी।

उन्होंने कैंसस यूनिवर्सिटी में प्रोवोस्ट और कार्यकारी वाइस चांसलर और यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ बिजनेस में डीन के पद पर काम किया है। वह ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में इनिशिएटिव फॉर मैनेजिंग सर्विसेज की संस्थापक निदेशक भी रही हैं।
दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कंपनियों और संगठनों के लिए कंसल्टिंग का काम करने के अलावा, वह हंटिंगटन नेशनल बैंक की कार्यकारी उपाध्यक्ष और चीफ कस्टमर ऑफिसर थीं।