मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण से बचना अब लगभग असंभव
By : hashtagu, Last Updated : August 17, 2024 | 10:39 pm
- इसके बाद राणा का प्रत्यर्पण लगभग तय है। हालांकि उसके पास सुप्रीम कोर्ट में जाने का विकल्प है, लेकिन वहां सुनवाई की उम्मीद भी बेहद कम है। न्याय विभाग के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में जितनी अपीलें दायर होती हैं, वह उनमें से एक प्रतिशत से भी कम की सुनवाई करती है।
मामले की सुनवाई करने वाली अपीलीय अदालत ने अपने फैसले में कहा, “भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को प्रत्यर्पित किए जाने की अनुमति है।” तहव्वुर हुसैन राणा (63) ने कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अमेरिका के अपीलीय अदालत में याचिका की थी।
अदालत ने तहव्वुर हुसैन राणा की याचिका खारिज कर दी। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि आतंकवादी हमलों में उसकी कथित भागीदारी को लेकर उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। पैनल ने माना कि तहव्वुर हुसैन राणा का कथित अपराध अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के अंतर्गत आता है।
इस फैसले के बाद तहव्वुर राणा के जल्द भारत प्रत्यर्पित किए जाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। तहव्वुर राणा साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में वांछित है। उस पर हमले में शामिल आतंकवादी संगठन को मदद देने के भी गंभीर आरोप हैं।
अदालत ने राणा को एक विदेशी आतंकवादी संगठन को सहायता प्रदान करने के अलावा डेनमार्क में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की नाकाम साजिश रचने का भी दोषी ठहराया।
साल 2008 में पाकिस्तान से नाव के जरिए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी मुंबई में दाखिल हुए थे। उन्होंने करीब 60 घंटे तक मुंबई को बंधक बनाए रखा था। इस दौरान आतंकियों ने 160 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी थी। इस घटना में 26 विदेशी नागरिक भी मारे गए थे। इस हमले से पूरा देश स्तब्ध रह गया था।
सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए नौ आतंकियों को मार गिराया जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया। उसे बाद में फांसी की सजा सुनाई गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना में पूर्व चिकित्सा अधिकारी तहव्वुर हुसैन राणा 1990 में कनाडा चला गया था। शिकागो जाने से पहले वह कनाडा का नागरिक बन गया।
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