तीन पीढ़ी, एक बैरक: चैतन्य, भूपेश और नंदकुमार बघेल की जेल में अनोखी कहानी
By : dineshakula, Last Updated : August 20, 2025 | 11:15 pm
By : dineshakula, Last Updated : August 20, 2025 | 11:15 pm
रायपुर | 20 अगस्त: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर (Raipur)की जेल इन दिनों राजनीतिक इतिहास का गवाह बन रही है। यहां की एक खास बैरक में बघेल परिवार की तीन पीढ़ियां—दादा, पिता और अब बेटा—कैद रह चुकी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल इन दिनों उसी बैरक में बंद हैं, जहां उनके पिता और दादा भी अलग-अलग समय पर न्यायिक हिरासत में रह चुके हैं।
यह किस्सा शुरू होता है साल 2021 से, जब स्वर्गीय नंद कुमार बघेल को ब्राह्मण समाज के खिलाफ टिप्पणी और अपनी विवादास्पद किताब ‘ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो’ के कारण आगरा से गिरफ्तार कर रायपुर लाया गया था।
तब प्रदेश में भूपेश बघेल की ही सरकार थी और उन्होंने स्पष्ट किया था कि “कानून अपना काम करेगा।”
उन्हें उसी बैरक में रखा गया था, जहां अब उनका पोता चैतन्य बंद है।
साल 2017, जब राज्य में रमन सिंह की सरकार थी, तब भूपेश बघेल कथित सेक्स सीडी कांड में फंसे।
उनके करीबी विनोद वर्मा की गिरफ्तारी के बाद उन्हें भी घसीटा गया और गिरफ्तार किया गया।
बघेल ने जमानत लेने से इनकार करते हुए जेल में सत्याग्रह की घोषणा की थी।
उन्हें भी उसी बैरक में रखा गया था, जो अब बघेल परिवार की “राजनीतिक परंपरा” का प्रतीक बन गया है।
18 जुलाई 2025 से जेल में बंद चैतन्य बघेल फिलहाल चार दिन की रिमांड पर हैं।
सूत्रों के मुताबिक, वे जेल में रहकर अक्सर अपने दादा और पिता को याद करते हैं।
वहां उन्होंने दो किताबें पढ़ीं हैं – नेहरू की “डिस्कवरी ऑफ इंडिया” और गांधी की आत्मकथा “सत्य के प्रयोग”।
यह साफ है कि चैतन्य न सिर्फ परिवार की राजनीतिक विरासत, बल्कि संघर्ष की परंपरा को भी आत्मसात कर रहे हैं।
एक ही बैरक में तीन पीढ़ियों की गिरफ्तारी न केवल एक दुर्लभ संयोग है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की राजनीति में बघेल परिवार के प्रभाव और संघर्ष की गाथा भी कहता है।
यह बैरक अब केवल एक जेल कक्ष नहीं, बल्कि राजनीतिक इतिहास का प्रतीक स्थल बन चुकी है।