चीन के नामा पर्वत पर हाइकर की मौत, सेफ्टी रोप खोलते ही फिसला और गहरी खाई में गिरा

By : dineshakula, Last Updated : October 7, 2025 | 12:45 pm

सिचुआन प्रांत, चीन: चीन (China) के सिचुआन प्रांत में स्थित नामा पर्वत पर एक दिल दहला देने वाला हादसा कैमरे में रिकॉर्ड हुआ है। 25 सितंबर को 31 वर्षीय हाइकर होंग, जो एक ट्रेकिंग ग्रुप के साथ 18,332 फीट ऊंचे पर्वत पर चढ़ाई कर रहे थे, चोटी के करीब पहुंचने पर अपनी सेफ्टी रोप खोलकर फोटो खिंचवाने लगे। इसी दौरान वह अपना संतुलन खो बैठे और बर्फीली ढलान पर फिसलकर गहरी खाई में गिर गए।

हादसे का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि होंग एक बर्फ से ढकी ढलान के पास बिना सेफ्टी रोप के खड़े थे। जैसे ही वह खड़े होकर संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं, उनके पैर फिसलते हैं और वह तेजी से नीचे की ओर लुढ़क जाते हैं। चंद सेकंड में ही वह आंखों से ओझल हो जाते हैं और लगभग 200 मीटर नीचे गिरते हैं। आसपास मौजूद अन्य ट्रेकर्स को इस हादसे को देखकर दहशत में चीखते हुए भी देखा गया।

चीन के स्थानीय मीडिया रेड स्टार न्यूज के मुताबिक, होंग ने सेफ्टी रोप खोलने के बाद खड़े होने की कोशिश करते हुए अपने क्रैम्पॉन (बर्फ में चलने के लिए पहने जाने वाले जूते के स्पाइक) में फंसकर गिर पड़े। गिरते वक्त उनके पास बर्फ में पकड़ बनाने वाला आइस एक्स भी नहीं था। हादसे के तुरंत बाद स्थानीय रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

होंग के परिजनों ने बताया कि यह उनकी पहली बार पर्वतारोहण यात्रा थी। गिरावट की ऊंचाई करीब 100 से 200 मीटर के बीच बताई गई है।

कांगडिंग म्युनिसिपल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स ब्यूरो के अधिकारियों ने बताया कि होंग और उनके साथियों ने न तो अपनी ट्रेकिंग योजना अधिकारियों के साथ साझा की थी और न ही जरूरी परमिट लिए थे। ऐसे में बिना अनुमति के पर्वतारोहण करना सुरक्षा नियमों का उल्लंघन है।

नामा पीक, जिसे नामा पर्वत भी कहा जाता है, तिब्बती पठार के पूर्वी हिस्से में स्थित है और गोंगा पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है। यह चढ़ाई के लिए तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण पर्वत है, जहां मौसम कभी भी खराब हो सकता है और तापमान शून्य से नीचे चला जाता है।

इस पर्वत पर चढ़ाई के लिए ट्रेकर्स को विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है। उचित गाइड, परमिट, तकनीकी उपकरण जैसे क्रैम्पॉन, हेलमेट, आइस एक्स और सेफ्टी रोप जरूरी होते हैं। बेस कैंप करीब 4,800 मीटर की ऊंचाई पर होता है, जहां से अंतिम चढ़ाई शुरू होती है।

इस हादसे ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि पर्वतारोहण में लापरवाही या सुरक्षा नियमों की अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है।