भागवत बोले- भारत में कोई अहिंदू नहीं, मुसलमान-ईसाई भी हिंदू पूर्वजों के वंशज
By : dineshakula, Last Updated : November 9, 2025 | 11:04 am
बेंगलुरु: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने शनिवार को कहा कि भारत की आत्मा हिंदू संस्कृति है और यहां कोई अहिंदू नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के सभी मुसलमान और ईसाई भी उन्हीं पूर्वजों के वंशज हैं जो हिंदू थे, बस वे भूल गए हैं या उन्हें भुला दिया गया है। भागवत ने यह बात बेंगलुरु में आयोजित कार्यक्रम ‘100 साल का संघ: नए क्षितिज’ में कही, जिसमें आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले समेत कई सामाजिक हस्तियां मौजूद थीं।
भागवत ने कहा कि संघ सत्ता या प्रमुखता नहीं चाहता, बल्कि उसका उद्देश्य समाज को संगठित करना और भारत माता की महिमा बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि पहले लोग संघ के उद्देश्य पर विश्वास नहीं करते थे, लेकिन अब करते हैं।
भागवत ने अपने संबोधन में पांच प्रमुख बातें कहीं—
उन्होंने कहा कि भारत कोई नया राष्ट्र नहीं है जिसे ब्रिटिशों ने बनाया हो, बल्कि यह सदियों पुराना राष्ट्र है। हर देश की एक मूल संस्कृति होती है और भारत की मूल संस्कृति हिंदू संस्कृति है।
उन्होंने कहा कि हिंदू होना मतलब भारत के प्रति जिम्मेदारी लेना है। यहां हर व्यक्ति, चाहे वह जाने या न जाने, भारतीय संस्कृति का पालन करता है।
भागवत ने स्पष्ट किया कि भारत का हिंदू राष्ट्र होना संविधान के खिलाफ नहीं, बल्कि उसके अनुरूप है। संघ का उद्देश्य समाज को जोड़ना है, तोड़ना नहीं।
उन्होंने कहा कि संघ ने अपने 100 साल के सफर में कई कठिनाइयां झेली हैं। दो बार प्रतिबंध लगा, तीसरी बार भी कोशिश हुई, स्वयंसेवकों पर हमले हुए, फिर भी संघ का काम नहीं रुका।
भागवत ने कहा कि अब संघ का लक्ष्य हर गांव, हर जाति और हर वर्ग तक पहुंचना है, ताकि विविधता में एकता को मजबूत किया जा सके।




