सुप्रीम कोर्ट की ED को कड़ी फटकार: शराब घोटाला केस में कवासी लखमा के खिलाफ जांच की स्थिति स्पष्ट करने का आदेश
By : hashtagu, Last Updated : November 18, 2025 | 5:57 am
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले (Liquor scam) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कड़ी फटकार लगाई है और उससे पूछा है कि ऐसी कौन-सी जांच बाकी है जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने ED से यह स्पष्ट करने का आदेश दिया कि पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक कवासी लखमा के खिलाफ किस प्रकार की जांच अभी चल रही है और इसे पूरा करने में कितना और समय लगेगा।
ED को दिया गया एफिडेविट दाखिल करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जांच अधिकारी एक व्यक्तिगत एफिडेविट दाखिल करें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि कवासी लखमा के खिलाफ वर्तमान में कौन सी जांच चल रही है। इसके अलावा, ED से यह भी पूछा गया कि जांच में कोई बाधाएं तो नहीं आ रही हैं, और क्या इस मामले में जल्द कोई प्रगति हो सकती है।
15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किए गए थे कवासी लखमा
कवासी लखमा को ED ने 15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया था और इसके बाद उन्हें आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने भी गिरफ्तार किया था। इस वक्त लखमा 10 महीने से जेल में बंद हैं और उनकी तबीयत बिगड़ने की वजह से कांग्रेस पार्टी ने उनके इलाज की मांग की है।
शराब घोटाले में क्या आरोप हैं?
ED का आरोप है कि कवासी लखमा शराब सिंडिकेट का एक अहम हिस्सा थे और उन्होंने सिंडिकेट के कामकाज में मदद की थी। लखमा की भूमिका शराब नीति में बदलाव करने और शराब सिंडिकेट को मदद देने में महत्वपूर्ण थी। ED ने कहा है कि लखमा के निर्देश पर ही छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई, जिससे शराब सिंडिकेट को लाभ हुआ।
लखमा के खिलाफ आरोप
ED के मुताबिक, कवासी लखमा को राज्य के आबकारी विभाग में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इस पर रोक नहीं लगाई। लखमा पर आरोप है कि उन्होंने इस गड़बड़ी से अवैध रूप से फायदा उठाया। ED ने कोर्ट में बताया था कि लखमा को शराब घोटाले के दौरान हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे, और 36 महीनों में उन्होंने कुल 72 करोड़ रुपए प्राप्त किए।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: सरकारी खजाने को हुआ भारी नुकसान
ED ने यह भी दावा किया कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के कारण सरकारी खजाने को 2,100 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ। शराब सिंडिकेट से नेताओं, अधिकारियों और कारोबारियों की जेबों में भारी अवैध कमाई पहुंची, जिससे राज्य को भारी वित्तीय क्षति हुई।
अन्य जांच और सुरक्षा संबंधी आदेश
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले से जुड़ी आबकारी विभाग के अधिकारियों की सुरक्षा को स्थायी कर दिया है। यह सुरक्षा उन अधिकारियों को दी गई थी जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप थे। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश देते हुए कहा कि इन अधिकारियों की सुरक्षा को स्थायी करना आवश्यक है ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।




