ज्ञानपीठ सम्मान से छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ा विनोद कुमार शुक्ल बोले नई पीढ़ी हर भाषा का सम्मान करेगी
By : dineshakula, Last Updated : November 22, 2025 | 5:32 am
रायपुर: हिंदी के वरिष्ठ कवि और उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल (Vinod Kumar Shukla) को शुक्रवार को उनके रायपुर स्थित घर पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया. ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार राशि का चेक सौंपकर सम्मानित किया. इस सम्मान के साथ वे छत्तीसगढ़ के पहले लेखक बन गए हैं जिन्हें हिंदी साहित्य का यह सर्वोच्च पुरस्कार मिला है.
सम्मान ग्रहण करते हुए विनोद कुमार शुक्ल ने कहा कि आज जब कई भाषाओं के अस्तित्व पर चिंता व्यक्त की जा रही है, उन्हें भरोसा है कि नई पीढ़ी हर भाषा और हर विचारधारा का सम्मान करेगी. उन्होंने कहा कि किसी भाषा या अच्छे विचार का खो जाना मनुष्यता का खो जाना है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में रायपुर प्रवास के दौरान शुक्ल से मुलाकात की थी. बातचीत में लेखक ने प्रधानमंत्री से कहा था कि उनके लिए लिखना सांस लेने जैसा है और वे जल्द ही घर लौटकर अपनी लेखन प्रक्रिया जारी रखना चाहते हैं.
विनोद कुमार शुक्ल लंबे समय से बच्चों और युवाओं के लिए भी लेखन करते रहे हैं. उनका कहना है कि अच्छी किताबें हमेशा मनुष्य को रास्ता दिखाती हैं और किसी भी क्षेत्र में श्रेष्ठता हासिल करनी हो तो उस क्षेत्र के उत्कृष्ट साहित्य के पास जाना चाहिए.
आलोचना पर उन्होंने कहा कि अगर किसी अच्छे काम की आलोचना होती है, तो वही आलोचना आगे बढ़ने की ताकत दे सकती है. कविता की सबसे सुंदर आलोचना है कि एक और बेहतर कविता लिखी जाए.
जीवन के अनुभवों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि असफलताएं और आलोचनाएं हर जगह मिलती हैं, लेकिन इन्हीं के बीच कुछ अच्छा भी सहेजा हुआ मिलता है. उन्होंने कहा कि उम्मीद ही जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है और जब किसी का साथ न मिले तब भी आगे बढ़ते रहना चाहिए.
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविता सबके साथ का पाठ किया, जिसमें मनुष्य के भीतर मौजूद सामूहिक संवेदना की गहरी झलक दिखाई देती है.




