‘3 साल’ में बाघों के ‘संरक्षण’ पर ‘183 करोड़ 77 लाख’ खर्च!, पढ़ें, आगे की प्लानिंग
By : madhukar dubey, Last Updated : March 15, 2023 | 4:36 pm
छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने मध्यप्रदेश से लाए जाएंगे बाघ
विगत दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में बीते 19 दिसंबर को बैठक हुई थी। जिसमें छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या चार गुना करने के लिए ग्लोबल टायगर फोरम (जीटीएफ) द्वारा प्रस्ताव दिया गया था। जिसके तहत अचानकमार टायगर रिजर्व में बाघ मध्यप्रदेश से लाकर छोड़े जाएंगे।
अचानकमार टायगर रिजर्व में वन्यप्राणियों के लिए जल स्त्रोतों, चारागाह को विकसित किया गया है, जिससे शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या में वृद्धि हो सके। छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभ्यारण्य में फिर से टायगरों को पुनर्स्थापित करने के लिए टायगर छोड़ने के प्रस्ताव को भी सैद्धांतिक सहमति दी गई।
बारनवापारा अभ्यारण्य में वर्ष 2010 तक टायगर पाए जाते थे। टायगर रि-इंट्रोडक्शन एवं टायगर रिकव्हरी प्लान के तहत ख्याति प्राप्त वन्यप्राणी संस्थान से हैबिटेट सुटेबिलिटी रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी, जिसकी स्वीकृति राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली से प्राप्त होने के बाद इस अभ्यारण्य में बाघ पुनर्स्थापना का कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
अधिकारियों ने बैठक में बताया था, शाकाहारी वन्य प्राणियों को विभिन्न प्रजनन केन्द्रों एवं अन्य स्थानों से लाकर प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों के प्राकृतिक रहवास में छोड़ा गया है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में 49 चीतल, बारनवापारा अभ्यारण्य में 39 काला हिरण, गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में 113 चीतल, अचानकमार टायगर रिजर्व में 20 चीतल, तमोर पिंगला अभ्यारण्य में 14 चीतल विभिन्न संरक्षित क्षेत्रों के नैसर्गिक रहवास में शाकाहारी वन्यप्राणियों को छोड़ा गया है।
छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में हाथियों के लिए चारागाह, पानी आदि की व्यवस्था करने से हाथी मानव द्वंद की घटनाओं में काफी कमी हुई है। लगभग 11 हजार 314 हेक्टेयर चारागाह विकसित किए गए हैं। लगभग 80 हजार हेक्टेयर में खाद्य घास की प्रजातियां लगाई गई हैं। वन्यप्राणियों के पेयजल के लिए 12 स्टॉप डेम, 40 तालाब, 65 अर्दनडेम, 98 तालाबों का गहरीकरण किया गया है, इसी तरह 52 नालों में भू-जल संवर्धन और भू-जल संरक्षण के लिए संरचनाएं निर्मित की गई हैं।
भारत माला परियोजना अंतर्गत प्रस्तावित रायपुर-विशाखापटनम इकोनॉमिक कॉरिडोर निर्माण के लिए उदन्ती-सीतानदी टायगर रिजर्व में केशकाल एवं कांकेर वनमंडल के लगभग 64 वन क्षेत्र तथा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा चिन्हांकित इन्द्रावती-उदन्ती-सीतानदी-सुनाबेड़ा टायगर कॉरिडोर के 7 वन कक्षों से गुजरने वाले लगभग 3.5 किलोमीटर राजमार्ग में प्रस्तावित इकानॉमिक कॉरिडोर निर्माण के लिए अनुमति दी गई।
इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा जाएगा। इस तरह भोपालपटनम से जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में चिंतावागु नदी पर नवीन पुल निर्माण की अनुमति दी गई। यह प्रस्ताव भी राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को अनुमति के लिए भेजा जाएगा। इस नवीन पुल एवं पहुंच मार्ग का निर्माण इन्द्रावती टायगर रिजर्व के बफर जोन के 1.177 हेक्टेयर रकबे के अंतर्गत आता है।
सूरजपुर के ग्राम नेवारी पारा से ग्राम खोड़ में विद्युतीरकण हेतु 0.35 हेक्टेयर वन भूमि और सूरजपुर के ग्राम टमकी से कोटवारीपारा तक 5.148 कि.मी. विद्युतीकरण करने हेतु 0.88 हेक्टेयर के व्यपवर्तन, लहपीपारा ग्राम पंचायत शोभा में 11 केव्ही विद्युत लाईन विस्तारीकरण, राजापड़ाव क्षेत्र के शुक्लाभाठा से झोलाराव तक तथा केरापारा से भाठापानी में 11 केव्ही विद्युत लाईन विस्तारीकरण, ग्राम लिलांज में विद्युतीकरण कार्य हेतु एनओसी, फरसेगढ़-पिल्लूर-सेण्ड्रा-चेरपल्ली मार्ग का डी.जी.पी.एस सर्वे कार्य की अनुमति दी गई। इस मार्ग पर छत्तीसगढ़ की सीमा पर इन्द्रावती नदी पर एक सेतु तथा छत्तीसगढ़ की ओर आने वाले पहुंच मार्ग का निर्माण किया जाना है।