छत्तीसगढ़। (Jheeram case investigation) झीरम कांड की जांच को लेकर बहस शुरू हो गई है। इसमें पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और मुख्यमंत्री में बयानबाजी चल रही है। दरअसल प्रदेश सरकार ने झीरम जांच आयोग के काम-काज का कार्यकाल 6 महीने और बढ़ा दिया। इसे B J P जांच काे टालने और झीरम पर राजनीति करने वाला कदम बता रही है।
दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस मामले में भाजपा पर दोष मढ़ते हुए, सियासी रोटी सेंकने का आरोप लगाया है। ये भी कहा गया है कि जानबूझकर जांच में भाजपा के लोग खलल पैदा कर रहे हैं। NIA भी इस केस की जांच कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि NIA से झीरम संबंधी दस्तावेज मांगे गए मगर नहीं दिए गए।
अजय चंद्राकर ने गुरुवार काे मीडिया से कहा- देखिए झीरम की जांच और सत्य तो सामने है। जांच आयोग बनाने की जरूरत ही नहीं है। कांग्रेस को राजनीति करनी है। जांच की रिपोर्ट सही समय में आएगी तो कांग्रेस राजनीति किस मुद्दे पर करेगी, और जितने भी जांच आयोग और कमेटी बनी कभी किसी की रिपोर्ट नहीं आई। शराबबंदी की रिपोर्ट, स्काय वॉक की रिपोर्ट नहीं आई। किसी की रिपोर्ट नहीं आई।
चंद्राकर ने कहा कि कांग्रस सरकार में मंत्री झीरमकांड के प्रत्यक्षदर्शी हैं। उनसे इस्तीफा दिलवाकर पूरी पूछताछ करनी चाहिए। क्या घटना घटी है, पूछ लें, और क्या जानना है, नाटक क्यों कर रहे हैं।
कवासी लखमा प्रत्यक्षदर्शी हैं, घटना में शामिल हैं, वो जिसे दोषी बताएं उसे फांसी पर चढ़ा दें, मुझे दोषी बताएं तो मुझे फांसी पर चढ़ा दें, झीरम मामले में। कवासी लखमा से तो रोज पूछताछ होनी चाहिए। जो लोग मारे गए झीरम कांड में उनके परिवार को क्या मिला कांग्रेस राज में, जांच के नाम पर हम न्याय दिलाएंगे एक शब्द ही मिला है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अजय चंद्राकर के इस बयान पर कहा कि कहा- तैयार हैं, जांच चाहते हैं तो NIA की जांच वापस करा दें। आयोग फैक्ट फाइंडिंग नहीं करती है। CBI, NIA पुलिस करती है। जांच सही में चाहते हैं तो एनआईए की जांच हमें वापस करा दें, यहां गृहमंत्री आए तो हमनें मांग किया, होम मिनिस्ट्री को पत्र लिखा, जांच चाहते हैं अच्छी बात है नार्को टेस्ट हो जाए रमन सिंह का, मुकेश गुप्ता (पूर्व IG),मंत्रियों का, कवासी लखमा का भी टेस्ट होगा कोई दिक्कत नहीं मगर तैयार तो हों जांच के लिए।
झीरम कांड जांच में हुए घटना की जांच के लिए गठित आयोग का कार्यकाल 6 महीने के लिए फिर बढ़ा दिया गया है। आयोग ने राज्य सरकार को बताया था कि जांच अभी अधूरी है। इसे देखते हुए कार्यकाल बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसके बाद राज्य सरकार ने आयोग का कार्यकाल 10 अगस्त 2023 तक के लिए बढ़ा दिया है।
25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में हमला कर 32 नेताओं और सुरक्षाकर्मियों की हत्या की थी। घटना के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग का गठन किया था। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी थी।
इस पर कांग्रेस ने सवाल उठाए थे। विवाद के बाद जांच में नए बिंदु जोड़ते हुए नवंबर 2021 में सेवानिवृत न्यायाधीश सतीश अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।