छत्तीसगढ़। राज्य की दस अनुसूचित जाति (Scheduled caste) सीटों में से केवल दो ऐसी हैं जिन पर एक ही उम्मीदवार को जनता ने दो या इससे अधिक बार मौका दिया। आठ सीटों पर हर बार नए उम्मीदवार को जनता ने पसंद किया। बताया जा रहा है कि इस बार उम्मीदवारों के चयन में भाजपा और कांग्रेस (BJP and Congress) भी इस क्राइटेरिया को ध्यान में रखकर टिकट देने की तैयारी कर रही हैं। बता दें कि पिछले तीन चुनावों में अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं ने एक को छोड़कर किसी भी उम्मीदवार को लगातार चुनाव जीतने का मौका नहीं दिया।
मतदाताओं के मूड के आधार पर पार्टियों ने भी हर बार चेहरे बदले। किसी पार्टी ने चेहरे बदलने में लापरवाही की तो उन्हें खुद मतदाताओं ने बदल दिया। विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को लेकर दोनों पार्टियों में मंथन का दौर चल रहा है। भाजपा ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है। इसमें एक एससी सीट (सराईपाली) पर भाजपा ने इसी पैटर्न को ध्यान में रखकर नए उम्मीदवार को मौका दिया है। बता दें कि सरायपाली सीट पर भाजपा ने 2018 के चुनाव में श्याम तांडी को उम्मीदवार बनाया था लेकिन वे हार गए थे। इस बार नए प्रत्याशी के रूप में भाजपा ने सरला कोसरिया को मौका दिया है।
2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 10 में 7 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। दो सीटों पर भाजपा और एक सीट पर बसपा के उम्मीदवार को जीत मिली थी। जबकि 2013 में भाजपा 9 सीटों पर और कांग्रेस केवल एक सीट जीत सकी थी। बता दें कि 2003 में भी एससी वर्ग के लिए दस सीटें ही रिजर्व थीं लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद रिजर्व सीटें बदल गईं। इसलिए समरूपता के आधार पर 2008 से 2018 तक के तीन चुनाव महत्वपूर्ण रहे हैं।
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